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Saturday, February 13, 2021

Electronic के महत्वपूर्ण Components के नाम

Basic Component

अगर आप इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के विद्यार्थी हैं | या फिर इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग से संबंधित जानकारी पाना चाहते हैं | और इलेक्ट्रॉनिक के नए-नए सर्किट बनाना चाहते हैं | तो आप को सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक के बेसिक कॉन्पोनेंट और Equipment की जानकारी होना बहुत जरूरी  क्योंकि बेसिक कंपोनेंट की जानकारी के बिना या उन कंपोनेंट की वैल्यू राइटिंग और उनके कार्य के बिना आप किसी तरह का कोई भी सर्किट नहीं बना सकेंगे |

इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बनाने के लिए बहुत सारे कॉन्पोनेंट की जरूरत पड़ती है और यह उस सर्किट के ऊपर निर्भर करता है | कि उसमें कितने तरह के कंपोनेंट लगेंगे जैसे कि रजिस्टर कैपेसिटर LED ट्रांजिस्टर डायोड इत्यादि और इनके अलावा कुछ Equipment भी होते हैं जैसे की पावर सप्लाई सिग्नल जनरेटर मल्टीमीटर इत्यादि |तो इन सभी के बारे में जानकारी लें उसके बाद ही आप इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बना सकेंगे | तो आज की इस पोस्ट में आपको इलेक्ट्रॉनिक के Basic Electronic Components और Equipment के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी |

इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट को वैसे तो कुछ श्रेणियों में बांटा गया है

१-Active Electronic Components

२-assive Electronic Components

३- Electromechanical Components 

लेकिन हम यहां पर आपको एक एक करके सभी कंपोनेंट को अलग अलग बताएंगे ताकि आपको हर एक कॉन्पोनेंट की जानकारी हो सके और उसके बारे में आप ज्यादा अच्छे से जान सके |

Integrated Circuits (ICs)

इंटीग्रेटेड सर्किट एक सिंगल डिवाइस या Chip है जो कि Semiconductor Material से बनी होती है और ज्यादातर इसके लिए सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है इस इंटीग्रेटेड सर्किट का इस्तेमाल लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में किया जाता है जैसे कि टीवी रेडियो मोबाइल फोन लैपटॉप राउटर मॉडम इत्यादि इंटीग्रेटेड सर्किट भी दो श्रेणियों में बांटे गए हैं एनालॉग इंटीग्रेटेड सर्किट और डिजिटल इंटीग्रेटेड सर्किट

Microcontroller

आधुनिक शब्दावली मैं माइक्रोकंट्रोलर एक छोटा सा कंप्यूटर है जो कि एक इंटीग्रेटेड सर्किट से बनाया जाता है  माइक्रोकंट्रोलर मे हमें RAM, CPU, Input / Output इत्यादि देखने को मिलते हैं यह एक Programmable कॉन्पोनेंट है जिसे एक छोटे कंप्यूटर के रूप में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक के उपकरण में इस्तेमाल किया जा सकता है

Resistors

प्रतिरोधक (Resistor) एक इलेक्ट्रिकल कॉन्पोनेंट होता है जैसे कि दूसरे डायोड,कैपेसिटर इत्यादि होते हैं.और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में प्रतिरोधक का इस्तेमाल करंट के बहाव को रोकने के लिए या उसे कम करने के लिए किया जाता है. रजिस्टर कई प्रकार के होते हैं इनके काम करने के आधार पर इन को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाता है

मुख्यतः यह 2 प्रकार की होते हैं

1-Fixed Resistor 

2-Variable Resistor

Diodes

डायोड एक Non-Linear सेमीकंडक्टर डिवाइस है क्योंकि करंट को सिर्फ एक दिशा में जाने देती है  डायोड के दो टर्मिनल होते हैं जिंहें एनोड और कैथोड कहा जाता है  नीचे आपको इसका इलेक्ट्रिक सिंबल दिया गया है

एक सामान्य PN Diodes को AC सप्लाई को DC मे बदलने वाले सर्किट में इस्तेमाल किया जाता है. और आपने LED लाइट एमिटिंग डायोड के बारे में तो जरुर सुना होगा. जो कि एक सेमीकंडक्टर डिवाइस है और एक्टिवेट होने के बाद में लाइट छोड़ती है.

Zener Diode और जेनर डायोड वैसे तो एक साधारण डायोड की तरह है लेकिन यह वोल्टेज स्टेबलाइजर का काम करते है

Capacitors

कैपिसिटर एक इलेक्ट्रॉनिक कॉन्पोनेंट है जो कि लगभग सभी सर्किट में इसका इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि हर रेडियो टेलीविज़न इत्यादि| Capacitors में इलेक्ट्रिक चार्ज स्टोर हो जाता है| कैपेसिटर दो कंडक्टर सामान्यतः दो प्लेटों से बना होता है| और इन दोनों प्लेटों के बीच में डाई इलेक्ट्रिक मटीरियल लगाया जाता है जिससे यह अलग हो जाते हैं.जब कैपेसिटर को किसी पावर सोर्स के साथ में जोड़ दिया जाता है तो यह इलेक्ट्रिक चार्ज को स्टोर कर लेता है| और इसके अंदर लगी दोनों प्लेट यह चार्ज स्टोर करने का काम करती है जिसमें से एक प्लेट पर पॉजिटिव चार्ज होता है और दूसरी पर नेगेटिव चार्ज होता है |इसके बारे में ज्यादा जानकारी हमारे एक और पोस्ट में दी गई है जिसका लिंक नीचे दिया गया है|


1 वोल्ट के वोल्टेज पर कैपेसिटर के अंदर चार्ज होने वाले इलेक्ट्रिक चार्ज की Amount को Capacitance कहते हैं| कैपेसिटेंस को मापने की इकाई Farad (F) है.कैपेसिटर के अंदर लगी प्लेट की संख्या को बढ़ाकर इसका Capacitance भी बढ़ाया जा सकता है

                               Inductors.                              

जैसे कि कैपेसिटर इलेक्ट्रिक फील्ड को Energy के रूप में स्टोर करता है| उसी तरह Inductors Magnetic Field को Energy के रूप में स्टोर करता है. इंडक्टर एक तार होता है जो कि Coil के रूप में बनाया गया होता है. इसका इस्तेमाल AC इक्यूपमेंट जैसे कि Filters, Chokes, Tuned Circuits इत्यादि में किया जाता है|

Switches

किसी भी सर्किट को शुरू और बंद या यूं कहें कि ऑन या ऑफ करने के लिए हम स्विच का इस्तेमाल करते हैं. Switches कई प्रकार के होते हैं इनके कार्य के आधार पर इन अलग-अलग श्रेणियों में रखा चाहता है. कुछ स्विच एनालॉग होते हैं और कुछ स्विच डिजिटल होते हैं. आपको घरों में आमतौर पर एक साधारण स्विच देखने को मिलता है|

DC Power Supply

DC Power Supply इलेक्ट्रॉनिक के सर्किट के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है. ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स और सर्किट डीसी पावर सप्लाई से चलते हैं इसीलिए डीसी पावर सप्लाई का बहुत ज्यादा महत्व होता है. इलेक्ट्रॉनिक के ऐसे बहुत सारे उपकरण है जो कि डीसी सप्लाई देते हैं जैसे की AC – To – DC Power Supplies, Linear Regulators, Switching Mode Power Supply इत्यादि|



इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में डीसी पावर सप्लाई 5V से 12V इस्तेमाल होती है. क्योंकि लगभग सभी कॉन्पोनेंट इसी रेंज के ऊपर काम करते हैं|

Batteries

बैटरी एक ऐसी डिवाइस है जो कि केमिकल ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा में बदल देती है और बैटरी का इस्तेमाल मोबाइल फोन लैपटॉप घड़ी इत्यादि में किया जाता है. इसके अलावा और भी कई टेस्टिंग उपकरण में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है| आपने अक्सर घड़ियों में देखा हुआ कि उसके अंदर हम सेल का इस्तेमाल करते हैं जो कि 1.5v सप्लाई देता है और यही सेल हम टीवी के रिमोट में इस्तेमाल करते हैं. जहां पर हम दो Cell लगा कर 3v की सप्लाई हमारे टीवी के रिमोट को देते हैं|

बैटरियों को इनके वोल्टेज के आधार पर अलग अलग श्रेणियों में बांटा गया है जैसा कि आप ऊपर फोटो में देख सकते हैं यहां पर हमने तीन प्रकार की बैटरी दिखाई है जिसमें से एक 9 वोल्ट की है, एक 1.5 वोल्ट की है और एक 12 वोल्ट की है. इनका इस्तेमाल इनकी वोल्टेज के आधार पर किया जाता है|

Display Devices

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की बात करें तो बहुत सारे उपकरण में डिस्प्ले का इस्तेमाल किया जाता है और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में मुख्यतः दो प्रकार की डिस्प्ले का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है|

16 X 2 LCD

यह डिस्प्ले आपको कैलकुलेटर जैसी डिवाइस में में देखने को मिलेगी. यह एक Alpha – Numeric डिस्प्ले है जिसके अंदर दो Rows और 16 Columns होते हैं और इस डिस्प्ले पर ज्यादा से ज्यादा 32 अक्षर दिखा सकते हैं|

7 – Segment Display

यह डिस्प्ले भी आपको बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में देखने को मिलेगी जैसे की घड़ी, Information Systems इत्यादि. इस डिस्प्ले का इस्तेमाल वहां पर किया जाता है जहां पर हमें नंबर की जरूरत पड़ती है| या अल्फाबेट जरूरत पड़ती है|

Multimeter

वोल्टेज करंट और रेजिस्टेंस मापने के लिए पहले Voltmeter, Ammeter और Ohmmeter का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन उसके बाद में इसे एक बनाकर इसका नाम मल्टीमीटर रख दिया गया और इसके अंदर आप वोल्टेज करंट रेजिस्टेंस बड़ी आसानी से माप सकते हैं लेकिन आजकल और भी एडवांस मल्टीमीटर आ गए हैं जिनके अंदर आप ट्रांजिस्टर को भी चेक कर सकते हैं|

मल्टीमीटर AC और DC दोनों सप्लाई को माप सकता है और आज मल्टीमीटर दो प्रकार के होते हैं डिजिटल और एनालॉग लेकिन आज के समय में डिजिटल मल्टीमीटर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है क्योंकि यह किसी भी कॉन्पोनेंट को बहुत अच्छे से माप सकता है 

इसके अलावा और भी बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट है लेकिन जो महत्वपूर्ण और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं वह कॉन्पोनेंट हमने यहां पर आपको बता दिए हैं  यहां पर आपको Resistor, Capacitor, Microcontroller, Inductor, Transformer, Battery, Fuse, Diode/LED (Light Emitting Diode),Transistors, Integrated Circuit, Relays, Switches, Motors, Circuit Breakers के बारे में बताया गया है अगर इसके अलावा आप किसी और कंपोनेंट के बारे में जानना चाहते हैं तो comment करके बताये|

Wednesday, February 12, 2020

UPS & Inverter

UPS और Inverter में क्या अंतर है?


इन्वर्टर और UPS का इस्तेमाल बैकअप Power Supplies के रूप में किया जाता है.आज हम बिजली के उपकरणों पर पूरी तरह से निर्भर हैं जैसे की लाइट फ्रिज पंखे इत्यादि इनके बिना शायद हम 1 दिन भी नहीं रहते हर रोज किसी न किसी प्रकार के इलेक्ट्रिक उपकरण का इस्तेमाल हम करते हैं. इन सभी उपकरणों को चलाने के लिए हमें बिजली की आवश्यकता होती है और यह बिजली हम पावर प्लांट से लेते हैं लेकिन पावर प्लांट से आने वाली बिजली हमें हर समय नहीं मिलती इसलिए हम जब पावर प्लांट की बिजली नहीं होती तब हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम इनवर्टर या UPS का इस्तेमाल करते हैं।
इनवर्टर का इस्तेमाल हम हमारे घर के हम सभी उपकरणों पर करते हैं जो कि AC सप्लाई से चलते हैं. लेकिन UPS का इस्तेमाल हम सिर्फ ऐसे उपकरण पर करते हैं जिन में किसी प्रकार का सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता हो और जिसमें हमें अपने DATA का खराब होने का खतरा हो जैसे कि कंप्यूटर ,प्रिंटर ,स्कैनर इत्यादि. तो इस पोस्ट में हम आपको What Is UPS (Uninterruptible Power Supply)  In  Hindi ,Inverter  Kya Hai ,UPS Or Inverter Ke Bich Me Kya Antar Hai के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।
UPS Kya Hai
UPS का पूरा नाम Uninterruptible Power Supply है और इसका Meaning In Hindi “अबाधित विद्युत आपूर्ति” है.ऐसी सप्लाई जिसमें किसी भी प्रकार की कोई भी रुकावट नहीं हो.यूपीएस का इस्तेमाल करने के और भी कई कारण हैं जैसे कि अगर आपके घर में कम या ज्यादा वोल्टेज की सप्लाई आती है तो उसे कंट्रोल करने के लिए भी हम यूपीएस का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे कि हमारे उपकरण पर कोई भी गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
Inverter Kya Hai
इनवर्टर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो कि AC वोल्टेज को DC मे कनवर्ट करता है और इससे बैटरी को चार्ज करता है और फिर DC को AC मे कनवर्ट करता है जिससे कि हम अपने घर के उपकरण चला सकते हैं। यूपीएस में भी यही काम होता है। लेकिन इनके पावर सप्लाई देने का तरीका थोड़ा सा अलग होता है।
UPS VS Inverter
आप को सामान्यत हैं घरों में इनवर्टर देखने को मिलता है लेकिन यूपीएस आपको सिर्फ कंप्यूटर लाइव या फिर किसी पर्सनल कंप्यूटर पर ही देखने को मिलेगा इसलिए इन दोनों को अलग अलग जगह पर इस्तेमाल करने के कई कारण हैं जैसे कीBack Up ,Time Lag, Connection और कीमत इत्यादि नीचे आपको यह सभी को एक अलग अलग बताए गए हैं।
Back Up :
इसका इस्तेमाल कंप्यूटर को कुछ समय तक चलाए रखने के लिए किया जाता है ताकि हम अपने डेटा को सेव कर सकें और अपने कंप्यूटर को बंद कर सके इसलिए यूपीएस का बैकअप 10 से 15 मिनट या उससे थोड़ा बहुत ज्यादा होता है
लेकिन इनवर्टर का इस्तेमाल हम यूपीएस के रूप में नहीं कर सकते इसीलिए इस पर हम बड़े उपकरण ज्यादा लंबे समय तक भी चला सकते हैं और यूपीएस के मुकाबले इनवर्टर पर ज्यादा बड़ी बैटरी का इस्तेमाल होता है जिससे कि हमें यूपीएस के मुकाबले कई गुना ज्यादा बैकअप मिल जाता है।
 Power Supply:
यूपीएस में पहले AC को DC में बदला जाता है जिससे कि बैटरी को चार्ज किया जा सके और फिर बैटरी से ही DC को AC में बदला जाता है जिससे कि हम अपने उपकरण को चला सके तो इस प्रकार यूपीएस में हर समय बैटरी से ही पावर ली जाती है इसीलिए जब कोई भी पावर कट होता है या वोल्टेज कम या ज्यादा होती है तो इसकी आउटपुट पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
इनवर्टर में यूपीएस की तरह है AC सप्लाई को DC मैं बदला जाता है और इससे सिर्फ बैटरी को चार्ज किया जाता है जब तक आप की मेन सप्लाई ON रहती है तब तक आपके इनवर्टर की बैटरी चार्ज होती रहती है और आपका इनवर्टर MAIN को Bypass करके सीधा आउटपुट पर देता है. जिससे कि इनवर्टर का DC To AC कनवर्टर काम नहीं कर सकता. और जैसे ही आप के इनवर्टर की MAIN बंद होती है वह बैटरी से पावर लेता है और उसे DC To AC कन्वर्ट करता है इसीलिए जब आपके घर की पावर सप्लाई बंद होती है तो इन्वर्टर हल्का झटका देता है इसीलिए हम इसे कंप्यूटर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि एक हल्का झटका ही हमारे कंप्यूटर को बंद कर सकता है और हमारी विंडो को करप्ट (Corrupt ) कर सकता है।
Time Lag
तो जैसा कि ऊपर आपको बताया यूपीएस जब काम करता है तो वह बैटरी की पावर पर ही काम करता है. इसका मतलब जब यूपीएस की सप्लाई ऑन होगी या फिर वह होगी उससे यूपीएस के आउटपुट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जिससे कि यूपीएस में किसी प्रकार का कोई भी Time Lag या समय अंतराल नहीं होता।
लेकिन इनवर्टर में लगभग 500 Milliseconds का समय अंतराल होता है. इसीलिए हमें जब मेन सप्लाई बंद होती है या शुरू होती है तो हमें पता चलता है कि कब मेन सप्लाई बंद हो गई और कब मेन सप्लाई शुरू हो गई ।
Use
यूपीएस का इस्तेमाल सीधे उपकरण के ऊपर किया जाता है किसी भी विशेष उपकरण को यूपीएस की जरूरत पड़ती है जैसे कि कंप्यूटर प्रिंटर या स्कैनर।
लेकिन इनवर्टर का इस्तेमाल हम पूरी घर के मेन सप्लाई के साथ में ही स्विच बोर्ड पर करते हैं।
कीमत
वैसे तो यूपीएस आपको मार्केट में 1500 रुपए में मिल जाता है और इनवर्टर आप को कम से कम 8-10 हजार रुपए में मिलता है। लेकिन अगर आप इसके पावर बैकअप और रेटिंग की बात करेंगे तो इस मामले में UPS बहुत महंगा होता है। यूपीएस इसके Machinery Or Circuit के कारण महंगा होता है।
Voltage:
यूपीएस में Automatic Voltage Regulation (AVR) का इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए इसकी आउटपुट लगभग 220 Volts पर सेट की जाती है।
लेकिन इनवर्टर में आउटपुट इनपुट के ऊपर निर्भर करेगी जो कि लगभग 230 Volts के करीब होगी ।

Transistor Expalaination

Transistors क्या है कैसे काम करता है
ट्रांजिस्टर एक Semiconductor (अर्धचालक) डिवाइस है जो कि किसी भी Electronic Signals को Amply या Switch करने के काम आता है. यह (Semiconductor ) अर्धचालक पदार्थ से बना होता है जिसे बनाने के लिए ज्यादातर सिलिकॉन और जेर्मेनियम का प्रयोग
किया जाता हैं।इसके 3 टर्मिनल होते हैं .जो इसे किसी दूसरे सर्किट से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं .इन टर्मिनल को Base, Collector और Emitter कहा जाता है.
ट्रांजिस्टर कई प्रकार के होते हैं और सभी अलग-अलग तरह से काम करते हैं तो आज की इस पोस्ट में आपको बताया जाएगा कि N-P-N ट्रांजिस्टर क्या है और कैसे काम करता है. ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है Pnp ट्रांजिस्टर क्या है और कैसे काम करता है .लेकिन इससे पहले हम जानेंगे की ट्रांजिस्टर किसने और कैसे बनाया और इस का आविष्कार करने वाला कौन था आखिर किसने ट्रांजिस्टर का आविष्कार करके इलेक्ट्रॉनिक की पूरी दुनिया में एक क्रांति ला दी.
Transistors का अविष्कार कब और किसने किया
सबसे पहले एक जर्मन भौतिक विज्ञानी Julius Edgar Lilienfeld ने 1925 में  Field-Effect Transistor (FET)  के लिए कनाडा में Patent के लिए प्रार्थना-पत्र दिया लेकिन किसी तरह के सबूत ना होने के कारण उसे स्वीकार नहीं किया गया. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक दुनिया को बदलकर रख देने वाले ट्रांजिस्टर का आविष्कार John Bardeen, Walter Brattain और William Shockley ने 1947 में Bell Labs में किया था.

जैसा कि आप जानते हैं ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉनिक दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव किया तो इसका जितना बड़ा बदलाव था उसी तरह इसे बहुत ज्यादा श्रेणियों में बांटा गया नीचे आपको एक डायग्राम दिया गया है जिसकी मदद से आप इसे ज्यादा आसानी से समझ पाएंगे.


ट्रांजिस्टर के आविष्कार से पहले वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन अब ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल वैक्यूम ट्यूब की जगह किया जा रहा है क्योंकि ट्रांजिस्टर आकार में बहुत मोटे और वजन में बहुत हल्के होते हैं और इन्हें ऑपरेट होने के लिए बहुत ही कम पावर की जरुरत पड़ती है.इसीलिए ट्रांजिस्टर बहुत सारे उपकरण में इस्तेमाल किया जाता है जैसे एम्पलीफायर, स्विचन सर्किट, ओसीलेटरर्स और भी लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
जैसा कि ऊपर आपका फोटो में ट्रांजिस्टर के कई प्रकार दिखाए गए हैं लेकिन इसके मुख्य दो ही प्रकार होते हैं :
1. N-P-N
2. P-N-P
N-P-N ट्रांजिस्टर क्या है
जब P प्रकार के पदार्थ की परत को दो N प्रकार के पदार्थ की परतों के बीच में लगाया जाता है तो हमें N-P-N ट्रांजिस्टर मिलता है. इसमें इलेक्ट्रॉनों Base Terminal के ज़रिये Collector से Emitter की ओर बहते है . 


P-N-P ट्रांजिस्टर क्या है
जब N प्रकार के पदार्थ की परत को दो P प्रकार के पदार्थ की परतों के बीच में लगाया जाता है तो हमें P-N-P ट्रांजिस्टर मिलता है.

यह ट्रांजिस्टर के दोनों प्रकार देखने में तो एक जैसे लगते हैं लेकिन दिन में सिर्फ जो Emitter पर तीर का निशान है उसमें फर्क है PNP में यह निशान अंदर की तरफ है और NPN में यह निशान बाहर की तरफ है तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कौन से ट्रांजिस्टर में तीर का निशान किस तरफ है.इसे याद करने की एक बहुत आसान सी ट्रिक है .
NPN – ना पकड़ ना :- यहां पर हम इनकी फुल फॉर्म ना पकड़ ना की तरह इस्तेमाल करेंगे इसका मतलब पकड़ो मत जाने दो तो इसमें तीर का निशान बाहर की तरफ जा रहा है.
PNP – पकड़ ना पकड़ :- यहां पर हम इनकी फुल फॉर्म पकड़ ना पकड़ की तरह इस्तेमाल करेंगे इसका मतलब पकड़ो लो  तो इसमें तीर का निशान अन्दर तरफ रह जाता है.
तो ऐसे आप इसे याद रख सकते हैं और ट्रांजिस्टर के 3 टर्मिनल होते हैं .जो इसे किसी दूसरे सर्किट से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं .इन टर्मिनल को Base, Collector और Emitter कहा जाता है.
FET (Field Effect Transistor)
FET  ट्रांजिस्टर का दूसरा टाइप है.और इसमें भी 3 टर्मिनल होते हैं. जिसे  Gate (G), Drain (D) और Source (S) कहते है .और इसे भी आगे और कैटेगरी में बांटा गया है. Junction Field Effect transistors (JFET) और MOSFET transistors. इन्हें भी आगे और classified किया गया है . JFET को Depletion mode में और MOSFET को Depletion mode और Enhancement mode में classified किया गया है. और इन्हें भी इन्हें भी आगे N-channel और P-channel में classified किया गया है.
Small Signal Transistors


Small Signal  ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल सिग्नल को Amplify करने के साथ-साथ Switching के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.सामान्यत: यह ट्रांजिस्टर हमें Market में PNP और NPN रूप में मिलता है .इस ट्रांजिस्टर के नाम से ही पता लग रहा है कि यह ट्रांजिस्टर वोल्टेज और करंट को थोड़ा सा Amplify लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस ट्रांजिस्टर का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में किया जाता है जैसे कि LED Diode Driver, Relay Driver, Audio Mute Function, Timer Circuits, Infrared Diode Amplifier इत्यादि .
Small Switching Transistors
इस ट्रांजिस्टर का प्राइमरी काम किसी भी सिग्नल को स्विच करना है उसके बाद में इसका काम Amplify का है. मतलब इस ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल ज्यादातर सिग्नल को स्विच करने के लिए ही किया जाता है. यह भी आपको मार्केट में एन पी एन और पी एन पी रूप में मिलता है.
Power Transistors
ऐसे ट्रांजिस्टर जो हाई पावर को Amplify करते हैं और हाई पावर की सप्लाई देते हैं उन्हें पावर ट्रांजिस्टर कहते हैं. इस तरह के ट्रांजिस्टर PNP ,NPN और Darlington Transistors के रूप में मिलते हैं . इसमें Collector के Current की Values Range 1 से  100A तक होती है . और इसकी Operating Frequency की Range 1 से 100MHz तक होती है .

SMPS

SMPS क्या होता है और यह कैसे काम करता है
किसी भी इलेक्ट्रिकल उपकरण को चलाने के लिए लाइट की जरूरत होती है. लेकिन यह उस उपकरण के ऊपर निर्भर करता है. कि उसे कितने लाइट चाहिए. कितने लाइट में ठीक चलेगा. कितने में खराब हो जाएगा. तो अगर हम किसी भी उपकरण को उसकी कैपेसिटी से ज्यादा लाइट दे देते हैं. तो वह जल जाता है इसलिए सभी उपकरण ठीक से चलाने के लिए उनके अंदर कुछ SMPS सिस्टम लगाया जाता है. जो की लाइट को कम ज्यादा नहीं होने देता है. और अगर होती है.
तो भी वह उस उपकरण के ऊपर प्रभाव नहीं डाल पाएगी. जैसे फ्रीज, TV या यह सभी सीधी 220 या 240 वोल्ट पर चलते हैं. और अगर हम इतना ही बोल्टेज कंप्यूटर के पार्ट को दे देते हैं. तो वह नहीं चल पाएगा और तुरंत जल जाएगा तो कंप्यूटर को कितनी बिजली चाहिए और कौन सी पार्टी को कितनी बिजली चाहिए. इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे और इसके साथ-साथ हम आपको बताएंगे कि SMPS क्या होता है SMPS कैसे काम करता है Direct Current और Alternative Current क्या होता है. SMPS कितने प्रकार का होता है. जितने भी कंप्यूटर या लैपटॉप होते है. उनके अंदर SMPS का इस्तेमाल होता है. तो आज हम आपको इसके बारे में पूरी विस्तार से जानकारी देंगे तो देखिए.
SMPS क्या होता है
SMPS क्या काम करता है
SMPS कैसे काम करता है
AC और DC क्या होता है
SMPS कितने प्रकार के होते हैं
SMPS क्या होता है
सच पहले हम आपको बताते हैं कि SMPS क्या होता है SMPS का पूरा नाम स्विचिंग मोड पॉवर सप्लाई होता है. यह एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है. अगर आपने यह डेक्सटॉप के लिए अलग से खरीदा है तो आपको एक छोटा सा डब्बा मिलता है. उसी को SMPS कहा जाता है. और यह कंप्यूटर के अलग-अलग हिस्सों को पावर देता है. जैसे रैम, डीवीडी राइटर, इसके अलावा कंप्यूटर के सभी पार्ट में इसके द्वारा ही अलग-अलग पार्ट्स में बिजली जाती है. और यह उन सभी पार्ट्स के अंदर भेजने वाली बिजली को कंट्रोल करता है. क्योंकि जैसा कि मैंने आपको बताया इसके सभी पार्ट डायरेक्ट 220 वोल्ट या 240 वोल्ट के ऊपर तो काम कभी कर भी नहीं सकते हैं क्योंकि वह जल जाएंगे इसलिए SMPS उन को कंट्रोल करता है. और कंप्यूटर के दूसरे सभी भागों में अलग-अलग प्रकार से लाइट को कंट्रोल करता है.
SMPS क्या काम करता है
जब हम सबसे पहले घर के मेन बोर्ड चाहिए लाइट को कंप्यूटर तक ले जाते हैं. तब वह ऐसी अल्टीनेटर करंट रहता है. और जब यह कंप्यूटर के SMPS के पास जाता है तो SMPS उस करंट को DC यानी Direct Current में कन्वर्ट कर देता है. और यह डायोड और कम्पस्टर का इस्तेमाल करके उस Alternative Current को Direct Current में बदल देता है. रेगुलेटर SMPS को कभी ऑन कभी ऑफ करता है. यानी कि यह उसके स्विच मोड को बदलता रहता है यानी कभी ऐसी Alternative Current को Direct Current में बदलता है तो कभी Direct Current को Alternative Current में बदलता है. इसीलिए इसका नाम स्विचिंग पावर सप्लाई रखा गया है.
SMPS कैसे काम करता है
सबसे पहले जो केवल से जो करंट कंप्यूटर के पास आता है तो वह करंट पहले SMPS के पास जो छोटे डिवाइस होते हैं. उनके अंदर होते हुए जाता है तो सबसे पहले AC Filter के पास जाता है. और वहां पर AC Filter करने की प्रक्रिया Natural के बीच में NTC Fuge Line Filter PF Capacitor का इस्तेमाल होता है. Output को रेक्टिफायर और फिल्टर को दिया जाता है. जो कि इसको AC से DC में कन्वर्ट करता है.


जो रेक्टिफायर और फिल्टर कैपेसिटर की मदद चाहिए. समूथ डीसी में कन्वर्ट करता है. इस प्रक्रिया का Output और पूरा DC होता है. और इसको स्विचिंग ट्रांजिस्टर को दिया जाता है. वहां पर हम दो  NPN ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल करते हैं. जो स्विचिंग साइकिल की मदद से फिर एक AC आउटपुट देता है. इसको फिर उसके बाद एक और प्रक्रिया करने के लिए देते हैं जिसका नाम SM ट्रांसफार्मर होता है. फिर इसके बाद एक और वायर रेक्टिफायर और फिल्टर को दिया जाता है. जो कि फिर AC सप्लाई को एक बार स्मूथ डीसी में कन्वर्ट करता है. लेकिन आपको एक बात जरूर याद रखनी है घर में जो ट्रांसफार्मर के पास से करंट आता वह A.C होता है. और जो बैटरी में करंट होता D.C होता है. सारी प्रोसेस के बाद जो आउटपुट निकलता है.
वह तीन भागों में निकलता है उसकी तीन वायर होती है 12 वोल्ट, 5 वोल्ट और 3 वोल्ट लेकिन प्राइमरी सर्किट के रेक्टिफायर और फिल्टर एक आउटपुट स्टार्टर ट्रांसफार्मर से कनेक्ट होता है. जिसको एक एंपलीफायर और IC के साथ कनेक्ट किया जाता है. और इसके तीन आउटपुट वायर होते हैं. एंपलीफायर SMPS का एक ऐसा क्षेत्र होता है. जिसमें पूरा मैनेजमेंट का काम होता है. एंपलीफायर IC से 3 वायर निकलते हैं. एक जोकि पावर ऑन केबल है. दूसरा 5V का करंट देता है.और तीसरा पावर मोड केबल होता है.
और यह तीनों आउटपुट केबल कंप्यूटर के मदरबोर्ड को दिए जाते हैं. स्विचिंग ट्रांजिस्टर एंपलीफायर AC इसी को एक ड्राइवर के साथ कनेक्ट किया हुआ होता है. और इसको एंपलीफायर IC साथ कंट्रोल किया जाता है. दूसरी स्विचिंग सर्किट से एक वायर आता है. जो की एंपलीफायर ऐसी को बताता है की ज्यादा लोड हो रहा है. तो उसी समय ड्राइवर जो स्विचिंग ऑन ऑफ प्रक्रिया को शुरू कर देता है. और जिसे एक नॉर्मल स्पीड पर करंट मिलता रहता है. जो कि 12V, 5Vऔर 3V होता है. इस प्रक्रिया को स्विचिंग पावर मोड सप्लाई बोला जाता है. और इसी की मदद से 12V, 5Vऔर 3V का करंट कंप्यूटर के मदरबोर्ड को मिलता है. इसी तरह से SMPS काम करता है.
Altinator Current और Direct Current क्या होता है
अब हम आपको बताते हैं कि अल्टरनेटिंग करंट और डायरेक्ट करंट क्या होता है. वैसे करंट का मतलब फलों ऑफ चार्ज होता है. यह दो तरह का होता है डायरेक्ट और अल्टरनेटिंग करंट अल्टीनेटर करंट  इसमें चार्ज फलों दोनों तरफ होता है. पॉजिटिव से नेगेटिव और नेगेटिव से पॉजिटिव दोनों दिशाओं में चार्ज होता है. अगर हम डायरेक्ट करंट की बात करते हैं. तो डायरेक्ट करंट का फलों सिर्फ एक ही दिशा में होता है वह सिर्फ नेगेटिव से पॉजिटिव तक होता है.जिसका हम आपको एक आसान सा उदाहरण बताते हैं जिस तरह से हम अपने टीवी रिमोट और घड़ी में सेल का इस्तेमाल करते हैं.
वह सिर्फ एक ही तरफ से करंट निकलता है. क्योंकि जब हम उसको उल्टा डाल देंगे तो वह रिमोट नहीं चलेगा और अगर हम उसको सिर्फ सही दिशा में डालते हैं. तो हमारा रिमोट और घड़ी दोनों काम करने लगेगी तो यह डीसी करंट का एक बहुत ही बड़ा और बहुत ही अच्छा उदाहरण है.अल्टरनेटिंग करंट का उदाहरण जो हमारे घर में ट्रांसफार्म से बिजली आती है वह अल्टरनेटिव बिजली होती है.और हमारे कंप्यूटर को डीसी करंट चाहिए होता है. इसलिए हमारे घर की अल्टरनेटिव बिजली को एसी में डीसी में कन्वर्ट करने के लिए SMPS का प्रयोग किया जाता है.
SMPS कितने प्रकार के होते हैं
अब हम आपको नीचे SMPS के प्रकार बताते हैं वैसे SMPS चार प्रकार के होते हैं जैसे
1. DC To DC Converter
2. Forward Converter
3. Flyback Converter
4. Self Oscillating Flyback Converter

18 w Audio Amplifier

18W ऑडियो पावर एम्पलीफायर सर्किट

18W ऑडियो पावर एम्पलीफायर सर्किट 18W ऑडियो पावर एम्पलीफायर सर्किट एक ऑडियो गिनती कम से कम भागों के साथ एक सभ्य उत्पादन शक्ति दे रहे थे, गुणवत्ता का त्याग किए बिना सक्षम एम्पलीफायर डिजाइन करने। पावर एम्पलीफायर अनुभाग केवल चार ट्रांजिस्टर और एक अलग धकेलना प्रतिक्रिया विन्यास में प्रतिरोधों और संधारित्र के एक मुट्ठी भर को रोजगार लेकिन कतरन (0.04% @ 1W की शुरुआत में साथ 0.08% THD @ 1kHz 8 ओम में एक से अधिक 18W वितरित कर सकते हैं - 1KHz और 0.02% @ 1W - 10KHz) और इस तरह के एक प्रदर्शन को प्राप्त करने के लिए और इस बहुत ही सरल सर्किट के समग्र स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक 4 ओम लोड 18W ऑडियो पावर एम्पलीफायर सर्किट 18
W ऑडियो पावर एम्पलीफायर सर्किट में 30W करने के लिए, एक उपयुक्त विनियमित डीसी बिजली की आपूर्ति अनिवार्य है। इस में कोई समस्या है, क्योंकि यह भी बहुत कम स्तर के लिए शोर और preamp की हम रखने में मदद मिलती है और विभिन्न लोड प्रतिबाधा में एक उम्मीद के मुताबिक उत्पादन शक्ति की गारंटी देता है नहीं है। 18W ऑडियो पावर एम्पलीफायर सर्किट का कार्य सीधे सीडी प्लेयर, ट्यूनर, और टेप रिकार्डर से जुड़ा जा सकता है। 23 + 23V आपूर्ति से अधिक नहीं है। Q3 और Q4 heatsink पर घुड़सवार किया जाना चाहिए। डी 1 Q1 के साथ थर्मल संपर्क में होना चाहिए। मौन वर्तमान (सबसे अच्छा Q3 Emitter के साथ श्रृंखला में एक Avo-मीटर के साथ मापा जाता है) महत्वपूर्ण नहीं है। कोई इनपुट संकेत के साथ 20 से 30 एमए करने के बीच एक मौजूदा पढ़ने के लिए R3 को समायोजित करें। सुविधा के लिए मौन वर्तमान सेटिंग जोड़ने R8 (वैकल्पिक)। एक सही ग्राउंडिंग हम और जमीन छोरों खत्म करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। J1, P1, सी 2, सी 3 और सी 4 की जमीन पक्षों को एक ही बिंदु से कनेक्ट करें। उत्पादन भूमि पर सी 6 से कनेक्ट करें। तो फिर अलग से बिजली की आपूर्ति भूमि पर इनपुट और आउटपुट आधार कनेक्ट। के लिए 18W ऑडियो पावर एम्पलीफायर सर्किट P1_____________22K लॉग अवयव। पोटेंशियोमीटर (स्टीरियो के लिए दोहरे गिरोह) R1______________1K 1 / 4W अवरोधक
R2______________4K7 1 / 4W अवरोधक
R3____________100R 1 / 4W अवरोधक
R4______________4K7 1 / 4W अवरोधक
R5_____________82K 1 / 4W अवरोधक
R6_____________10R 1 / 2W रोकनेवाला
R7_______________R22 4W अवरोधक (wirewound)
R8______________1K 1 / 2W समयानुकूल Cermet (वैकल्पिक)
C1____________470nF 63V पॉलिएस्टर संधारित्र
C2, C5 _________ 100μF 3V टैंटलम संधारित्र
C3, C4 _________ 470μF 25V विद्युत्-संधारित्र
C6____________100nF 63V पॉलिएस्टर संधारित्र
D1___________1N4148 75V 150mA डायोड
IC1________TLE2141C कम शोर, उच्च वोल्टेज, उच्च धसान-दर Op-amp
Q1____________BC182 50V 100mA NPN ट्रांजिस्टर
Q2____________BC212 50V 100mA मनका बिजली की आपूर्ति
R9______________2K2 1 / 4W अवरोधक
C7, C8 ________ 4700μF 25V विद्युत्-संधारित्र
D2_____________100V 4 ए डायोड पुल
D3________ के लिए PNP ट्रांजिस्टर
Q3___________TIP42A 60V 6A PNP ट्रांजिस्टर
Q4___________TIP41A 60V 6A NPN ट्रांजिस्टर
J1______________RCA ऑडियो इनपुट सॉकेट अवयव____5mm। लाल एलईडी
T1_____________220V प्राथमिक, 15 + 15V माध्यमिक, 50VA मेन ट्रांसफार्मर
PL1____________Male मेन प्लग SW1____________SPST मेन स्विच

Tuesday, February 11, 2020

MPPT & PWM SOLAR DIFFERENCE



                 MPPT & PWM SOLAR



MPPT और PWM Solar Controllers में क्या अंतर है
सोलर पैनल का इस्तेमाल आज बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है. सोलर पैनल इस्तेमाल करने के बहुत सारे फायदे हैं. लेकिन सबसे बड़ा फायदा है कि आप इससे बिजली की बचत कर सकते हैं. लेकिन सोलर पैनल का इस्तेमाल करना हर किसी को नहीं आता सोलर पैनल के लिए क्या-क्या चीजें जरूरी होती है. वह हर किसी को पता नहीं होती. अगर आपके घर में एक सामान्य इनवर्टर है. और उस पर आप सोलर प्लेट लगाते हैं तो उसके बीच में हमें एक कंट्रोलर लगाना पड़ता है.
जो कि हमारी बैटरी को चार्ज करते समय सोलर प्लेट से आने वाली सप्लाई को कंट्रोल कर के हमारी इनवर्टर की बैटरी को चार्ज करता है. लेकिन बहुत सारे लोगों को यह नहीं पता होता कि यह कंट्रोलर लगाना बहुत ही जरूरी होता है. और कुछ लोग अपने घर के सामान्य इनवर्टर की बैटरी पर सीधे सोलर प्लेट लगा देते हैं इसके बहुत सारे नुकसान होते हैं जो कि एक सामान्य व्यक्ति को नहीं पता होता.
इसीलिए हमें इनवर्टर की बैटरी पर सीधे सोलर प्लेट नहीं लगानी चाहिए उसके बीच में कंट्रोलर लगाना चाहिए कंट्रोल भी आपको मार्केट में अलग-अलग प्रकार के देखने को मिलते हैं. लेकिन ज्यादातर दो प्रकार के कंट्रोलर का इस्तेमाल किया जाता है. MPPT और PWM . इन दोनों में से अगर आप पूछेंगे कि कौन सा बढ़िया है. तो इसका एक ही जवाब है. MPPT और अगर आप पूछेंगे कि मैं सस्ता कौन सा है तो PWM सस्ता कंट्रोलर है. तो इन दोनों में से आपको कौन सा इस्तेमाल करना चाहिए यह आप नीचे दिए गए इन के अंतर को पढ़ कर जान जाएंगे.



MPPT और PWM Solar Controllers में क्या अंतर है


 PWM का पूरा नाम Pulse Width Modulationहै. और MPPT का पूरा नाम Maximum Power Point Tracking है. PWM सोलर कंट्रोलर आपके सोलर पैनल से आने वाली सप्लाई को Utilize करके आपकी बैटरी को चार्ज करेगा . MPPT Solar Controllers आपकी सोलर पैनल से ज्यादा से ज्यादा पावर लेता है और Efficiently आपकी बैटरी को चार्ज करता है . इन दोनों के काम करने का तरीका अलग अलग होता है इसीलिए दोनों से मिलने वाली पावर भी अलग-अलग होती है इन में और क्या क्या अंतर है यह नीचे आप को विस्तार पूर्वक बताए गए हैं.

MPPT Solar Controllers PWM Type Solar Controllers

एमपीपीटी सोलर कंट्रोलर आपको 80 Amps तक के साइज में मिल जाएंगे पी डब्ल्यू एम सोलर कंट्रोलर आपको 60 Amps तक की साइज में देखने को मिलेंगे.
MPPT Controller की वारंटी PWM कंट्रोलर से ज्यादा मिलती है क्योंकि यह एक बढ़िया कंट्रोलर है. PWM कंट्रोलर की वारंटी कम मिलती है क्योंकि यह एक साधारण कंट्रोलर है.
MPPT Controllers की आउटपुट इसकी इनपुट सप्लाई से ज्यादा होती है PWM कंट्रोलर की आउटपुट इसकी इनपुट सप्लाई से कम होती है
MPPT Controllers अपनी Charging Efficiency 30% तक बढ़ा सकता है. PWM कंट्रोलर की Charging Efficiency सामान्य होती है
MPPT Controllers की कीमत PWM कंट्रोलर से 3 गुना ज्यादा होती है PWM कंट्रोलर की कीमत MPPT Controllers से कम होती है
MPPT Controllers से बैटरी जल्दी चार्ज होती है MPPT Controllers के मुकाबले PWM कंट्रोलर से बैटरी धीरे चार्ज होती है
MPPT Controller में बैटरी चार्जिंग करने की Efficiency 96 % होती है. PWM कंट्रोलर में बैटरी चार्जिंग करने की Efficiency 70 % होती है.
MPPT Controller की मदद से हम सीधे DC उपकरण को चला सकते हैं PWM कंट्रोलर में हम सीधे तौर पर DC उपकरण को नहीं चला सकते हैं .
धूप कम होने पर भी यह अच्छे तरीके से काम करता है और ज्यादा से ज्यादा पावर बैटरी तक पहुंचाता है धूप कम होने के कारण यह कंट्रोलर बहुत कम मात्रा में पावर बैटरी तक दे पाता है
MPPT Solar Charge Controller 12V-24Volt 20Amp
PWM Solar Controllers न लगाने के नुकसान
सोलर कंट्रोलर की मदद से आप अपने इनवर्टर की बैटरी को ज्यादा अच्छे से चार्ज कर सकते हैं. लेकिन बहुत से लोग सोचते हैं कि हम इनवर्टर की बैटरी बिना कंट्रोलर के भी चार्ज कर सकते हैं. लेकिन अगर आप बिना कंट्रोलर के ही इनवर्टर की बैटरी को चार्ज करेंगे तो आपकी बैटरी खराब होने की संभावना ज्यादा हो जाती है. क्योंकि आपके सोलर पैनल से बैटरी तक जो सप्लाई आएगी वह कम या ज्यादा होती रहेगी जिससे कि आपकी बैटरी सही प्रकार से चार्ज नहीं होगी .तो अपनी बैटरी को अच्छे से और फुल चार्ज करने के लिए हमें कंट्रोलर की आवश्यकता पड़ती है अगर आप हमारी सलाह मानें तो हम आपको MPPT सोलर कंट्रोलर इस्तेमाल करने की सलाह देंगे बाकी आप अपने बजट के हिसाब से PWM सोलर कंट्रोलर भी खरीद सकते हैं.

Sunday, January 20, 2019

Friday, January 18, 2019

( Over Voltage / Under Voltage Circuit )

ओवर वोल्टेज / अंडर वोल्टेज सर्किट ( Over Voltage / Under Voltage Circuit ) मे अभिप्राय 

इस प्रकार का सर्किट Low Cut सर्किट की तरह । ही कार्य करता है । ऑटो ट्रांसफार्मर से आने वालीसप्लाई Pole पर दी जाती है तथा N / O सिरे से आउटपुट सार्किट को सप्लाई दी जाती है । | सप्लाई के सामान्य रहने पर रिले कौइल में करेंट प्रवाहित होती रहती है । इससे रिले ON रहती है तथा आउटपुट साकिट पर सप्लाई मिलती रहती है । | सप्लाई के 230 वोल्ट से अधिक हो जाने पर अथवा एक निश्चित मान ( जैसे 180 वोल्ट ) से कम हो | जाने पर रिले कौइल में करेंट का जाना बन्द हो जाता है तथा रिले Off हो जाती है । इससे Pole का संबंध N / O सिरे से टूट जाता है तथा आउटपुट | साकिट पर सप्लाई ओवर वोल्टेज पर भी कट हो जाती है तथा अंडर वोल्टेज पर भी कट हो जाती है ।

Auto stabilizer Circuit

Autocut Stabilizer

Mostly Autocut Stabilizer in use's three types relay drive circuits .

High Cut
Low Cut
Over Voltage & Under Voltage Protection


High Cut and Low Cut circuit Explain:

The purpose of the circuit is whether the plate is high-cut or lo-cut, both work. Do the same but do it differently. Output Supply from Auto Transformer  If the value is greater than 230 volts then the High  Both cut and low cut lamps do not let this supply go to the output circuit. For this relay switch of N / C, pole N / O at the ends.

Stabilind supply coming from the transformer.And the connection to the supply reaching the output circuit has to be done differently. The supply coming from the auto transformer on the relay pole attached to the highcut plate is given and the supply circuit is supplied from the N / C end. Relay when the value of supply remains below 230 volt. There is no current flowing in the coil so that the relay is not on. NC relates to Pole and the supply output reaches the circuit. When the value of supply exceeds 230 volt. Currents in High-Cut Late-Relay Kneil Flies and relays on. Pule breaks off the c and outputs. The supplier gets stopped from supplying this car. This car gets on the high plate and then gets on. When the sound of the supply exceeds 200 voltsThe supply coming from the auto transformer on the relay of the relay connected to the low-cut plate is given and the supply circuit is supplied from the N / O end. If the value of supply is greater than 230 votes, there is no current flow in the relay cauine. Pole is connected to the NC end and the supply output does not reach the circuit. When the value of supply is reduced from 230 volts, current is flowing in the coil connected to the lo-cut plate and the relay. It happens. Tole is concerned with the end of N / 0. And the output circuit is available to meet the supply. Thus, the relay connected to the low cut plate is on when the value of the supply decreases by 230 votes.


आटोकट स्टेबिलाइजरों में अधिकतर तीन प्रकार के रिले ड्राइव सर्किटों का प्रयोग किया जाता है ।1 ) हाई कट ( High Cut ) सर्किट 2 ) लो - कट ( Low Cut ) सर्किट 3 ओवर वोल्टेज , अंडर वोल्टेज प्रोटेक्शन सर्किट |हाई - कट ( high Cut ) सर्किट |Low Cut )  सर्किट से अभिप्राय प्लेट चाहे हाई - कट हो या लो - कट हो , काम दोनों |एक ही करती हैं परन्तु भिन्न - भिन्न प्रकार से करती हैं ।ऑटो ट्रांसफार्मर से मिलने वाली आउटपुट सप्लाई |का मान यदि 230 वोल्ट से अधिक हो जाय तोHigh |Cut तथा Low cut दोनों ही लेटें इस सप्लाई को आउटपुट साॅकिट पर नहीं जाने देती ।इसके लिये रिले स्विच के N/C, pole N/O  सिरों पर ऑटो |ट्रांसफार्मर से आने वाली स्टेबिलाइण्ड सप्लाई ।तथा आउटपुट साकिट पर पहुंचने वाली सप्लाई के कनैक्शन भिन्न - भिन्न प्रकार से करने पड़ते हैं ।हाईकट प्लेट से जुड़ी रिले के पोल पर ऑटो ट्रांसफार्मर से आने वाली सप्लाई दी जाती है तथा N / C सिरे से आउटपुट साकिट को सप्लाई दी जाती है ।सप्लाई का मान 230 वोल्ट से नीचा रहने पर रिले ।कौइल में कोई करेंट प्रवाहित नहीं होती जिससे रिले On नहीं होती ।NC का संबंध Pole से जुड़ा रहता है तथा सप्लाई आउटपुट साकिट पर पहुंचती रहती |सप्लाई का मान 230 वोल्ट से अधिक हो जाने पर ।हाई - कट लेट से जुड़े रिले काँइल में करेंट ।प्रवाहित होती है तथा रिले On हो जाती है ।Pule का संबंध c सिरे से टूट जाता है तथा आउटपुट ।साकिर को सप्लाई मिलना बन्द हो जाता है इस ' कार हाई - कत प्लेट से जा रिले तब On होती है ।जब सप्लाई का गान 200 वोल्ट से अधिक हो लो - कट प्लेट से जुड़ी रिले के Pole पर ऑटो ट्रांसफार्मर से आने वाली सप्लाई दी जाती है तथा N / O सिरे से आउटपुट साकिट को सप्लाई दी जाती है ।सप्लाई का मान 230 वोट से अधिक रहने पर रिले कौइन में कोई करेंट प्रवाहित नहीं होती ।Pole का संबंध NC सिरे से जुड़ा रहता है तथा सप्लाई आउटपुट साकिट पर नहीं पहुंचती है ।सप्लाई का मान 230 वोल्ट से कम हो जाने पर ही लो - कट लेट से जुडी कौइल में करेंट प्रवाहित होती है तथा रिले 0 |हो जाती है ।Tole का संबंध N / 0के सिरे से हो जाता ।है तथा आउटपुट साकिट को सप्लाई मिलने लगती है ।इस प्रकार Low Cut प्लेट से जुड़ी रिले तब 0 होती है जब सप्लाई का मान 230 वोट से कम हो जाय।

Friday, January 11, 2019

Why your AC needs a Stabilizer ?

Why your AC needs a Stabilizer ?


Uninterrupted performance during Voltage Fluctuations
Power supply is erratic in most parts of India. Sudden voltage fluctuations (high as well as low) beyond an optimum range can cause havoc to your Air Conditioner. A reliable voltage stabilizer like V Guard will help your AC get an optimum voltage output by deploying boosting and bucking technology and by providing turn-on-delay technology.


Avoid Start-up trouble during voltage fluctuations
During low voltage fluctuations, the compressor of your Air Conditioner might encounter start-up trouble; consequently, the efficiency of the AC will get affected. A good quality stabilizer will boost up the voltage supply during low voltage conditions and help compressor start functioning to deliver optimum performance.


Avoid high power consumption during low voltage supply
If voltage supply drips during the operation of your AC, it causes AC to consume more power to deliver specific cooling effect. Whereas, by installing a trustworthy stabilizer you can avoid such spikes in the power consumption since the stabilizer will automatically scale up the voltage to provide stable voltage supply to your AC.


Boost longevity of your Air Conditioner
Frequent voltage fluctuations can have negative effect on the sensitive components of your Air Conditioner. High voltage supplies can damage the electronic circuitries, display panel, etc. Therefore, it becomes imperative to provide optimum voltage supply to your AC. A good quality stabilizer will mitigate the risks associated with the high voltage fluctuations.


Protect the expensive Compressor of your AC
A frequent and sudden re-starting of your Air Conditioner during erratic voltage supply can cause harm to its compressor. An ITDS (Intelligent time delay system) enabled stabilizer will protect the compressor of your AC by intelligently delaying the voltage supply to the compressor.


AC Size

Stabilizer Display

VWI 400
12 Amp / 130V-280V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 5500
VG 400
12 Amp / 170V – 270V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 2250
VS 400
12 Amp / 170V – 280V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 2750
VND 400
12 Amp / 150V-290V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 3600
VND 400 Digital
12 Amp / 150V-290V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 4500
VD 400 Digital
12 Amp / 150V-290V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 4900
VWR 400
12 Amp / 130V-300V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 5000
VEW 400 Digital
12 Amp / 90V-300V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 9000
VGX 400
12 Amp / 130V-300V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 5900
VG 500
15 Amp / 170V – 270V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 2750
VS 500
15 Amp / 170V – 280V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 2990
VGB 500
15 Amp / 130V-300V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 6000
VND 500
15 Amp / 150V-285V
Anabelle Dorris
MOP- Rs. 3950

 

Today Needs of Stabilizer

 AUTO STABILIZER 


What ?

Today life is very advanced and depends advanced technology which growths day by day, due to use different types electrical and electronics devices e.g. Phone, laptop, LCD, etc.
  At home used electricity is up/down under the it conditions , not flow same voltage occurs its condition use one devices it’s name is Stabilizer  witch make through  electrical and electronics  parts.


Above picture in Voltage Stabilizer of V-Guard  Company It is very popular brand it design, features and advantages  make Osam.
Working 
Regularly regulate Incoming electricity , Give Fixed Voltage for Home.

Monday, June 25, 2018

UPS और Inverter

UPS और Inverter

इन्वर्टर और UPS का इस्तेमाल बैकअप Power Supplies के रूप में किया जाता है.आज हम बिजली के उपकरणों पर पूरी तरह से निर्भर हैं जैसे की लाइट फ्रिज पंखे इत्यादि इनके बिना शायद हम 1 दिन भी नहीं रहते हर रोज किसी न किसी प्रकार के इलेक्ट्रिक उपकरण का इस्तेमाल हम करते हैं. इन सभी उपकरणों को चलाने के लिए हमें बिजली की आवश्यकता होती है और यह बिजली हम पावर प्लांट से लेते हैं लेकिन पावर प्लांट से आने वाली बिजली हमें हर समय नहीं मिलती इसलिए हम जब पावर प्लांट की बिजली नहीं होती तब हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम इनवर्टर या UPS का इस्तेमाल करते हैं।
इनवर्टर का इस्तेमाल हम हमारे घर के हम सभी उपकरणों पर करते हैं जो कि AC सप्लाई से चलते हैं. लेकिन UPS का इस्तेमाल हम सिर्फ ऐसे उपकरण पर करते हैं जिन में किसी प्रकार का सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता हो और जिसमें हमें अपने DATA का खराब होने का खतरा हो जैसे कि कंप्यूटर ,प्रिंटर ,स्कैनर इत्यादि. तो इस पोस्ट में हम आपको What Is UPS (Uninterruptible Power Supply)  In  Hindi ,Inverter  Kya Hai ,UPS Or Inverter Ke Bich Me Kya Antar Hai के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।

UPS Kya Hai

UPS का पूरा नाम Uninterruptible Power Supply है और इसका Meaning In Hindi “अबाधित विद्युत आपूर्ति” है.ऐसी सप्लाई जिसमें किसी भी प्रकार की कोई भी रुकावट नहीं हो.यूपीएस का इस्तेमाल करने के और भी कई कारण हैं जैसे कि अगर आपके घर में कम या ज्यादा वोल्टेज की सप्लाई आती है तो उसे कंट्रोल करने के लिए भी हम यूपीएस का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे कि हमारे उपकरण पर कोई भी गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

Inverter Kya Hai

इनवर्टर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो कि AC वोल्टेज को DC मे कनवर्ट करता है और इससे बैटरी को चार्ज करता है और फिर DC को AC मे कनवर्ट करता है जिससे कि हम अपने घर के उपकरण चला सकते हैं। यूपीएस में भी यही काम होता है। लेकिन इनके पावर सप्लाई देने का तरीका थोड़ा सा अलग होता है।

UPS VS Inverter

आप को सामान्यत हैं घरों में इनवर्टर देखने को मिलता है लेकिन यूपीएस आपको सिर्फ कंप्यूटर लाइव या फिर किसी पर्सनल कंप्यूटर पर ही देखने को मिलेगा इसलिए इन दोनों को अलग अलग जगह पर इस्तेमाल करने के कई कारण हैं जैसे कीBack Up ,Time Lag, Connection और कीमत इत्यादि नीचे आपको यह सभी को एक अलग अलग बताए गए हैं।

Back Up

इसका इस्तेमाल कंप्यूटर को कुछ समय तक चलाए रखने के लिए किया जाता है ताकि हम अपने डेटा को सेव कर सकें और अपने कंप्यूटर को बंद कर सके इसलिए यूपीएस का बैकअप 10 से 15 मिनट या उससे थोड़ा बहुत ज्यादा होता है
लेकिन इनवर्टर का इस्तेमाल हम यूपीएस के रूप में नहीं कर सकते इसीलिए इस पर हम बड़े उपकरण ज्यादा लंबे समय तक भी चला सकते हैं और यूपीएस के मुकाबले इनवर्टर पर ज्यादा बड़ी बैटरी का इस्तेमाल होता है जिससे कि हमें यूपीएस के मुकाबले कई गुना ज्यादा बैकअप मिल जाता है।

 Power Supply

यूपीएस में पहले AC को DC में बदला जाता है जिससे कि बैटरी को चार्ज किया जा सके और फिर बैटरी से ही DC को AC में बदला जाता है जिससे कि हम अपने उपकरण को चला सके तो इस प्रकार यूपीएस में हर समय बैटरी से ही पावर ली जाती है इसीलिए जब कोई भी पावर कट होता है या वोल्टेज कम या ज्यादा होती है तो इसकी आउटपुट पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
इनवर्टर में यूपीएस की तरह है AC सप्लाई को DC मैं बदला जाता है और इससे सिर्फ बैटरी को चार्ज किया जाता है जब तक आप की मेन सप्लाई ON रहती है तब तक आपके इनवर्टर की बैटरी चार्ज होती रहती है और आपका इनवर्टर MAIN को Bypass करके सीधा आउटपुट पर देता है. जिससे कि इनवर्टर का DC To AC कनवर्टर काम नहीं कर सकता. और जैसे ही आप के इनवर्टर की MAIN बंद होती है वह बैटरी से पावर लेता है और उसे DC To AC कन्वर्ट करता है इसीलिए जब आपके घर की पावर सप्लाई बंद होती है तो इन्वर्टर हल्का झटका देता है इसीलिए हम इसे कंप्यूटर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि एक हल्का झटका ही हमारे कंप्यूटर को बंद कर सकता है और हमारी विंडो को करप्ट (Corrupt ) कर सकता है।

Time Lag तो जैसा कि ऊपर आपको बताया यूपीएस जब काम करता है तो वह बैटरी की पावर पर ही काम करता है. इसका मतलब जब यूपीएस की सप्लाई ऑन होगी या फिर वह होगी उससे यूपीएस के आउटपुट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जिससे कि यूपीएस में किसी प्रकार का कोई भी Time Lag या समय अंतराल नहीं होता।

लेकिन इनवर्टर में लगभग 500 Milliseconds का समय अंतराल होता है. इसीलिए हमें जब मेन सप्लाई बंद होती है या शुरू होती है तो हमें पता चलता है कि कब मेन सप्लाई बंद हो गई और कब मेन सप्लाई शुरू हो गई ।

Use

यूपीएस का इस्तेमाल सीधे उपकरण के ऊपर किया जाता है किसी भी विशेष उपकरण को यूपीएस की जरूरत पड़ती है जैसे कि कंप्यूटर प्रिंटर या स्कैनर।
लेकिन इनवर्टर का इस्तेमाल हम पूरी घर के मेन सप्लाई के साथ में ही स्विच बोर्ड पर करते हैं।
कीमत वैसे तो यूपीएस आपको मार्केट में 1500 रुपए में मिल जाता है और इनवर्टर आप को कम से कम 8-10 हजार रुपए में मिलता है। लेकिन अगर आप इसके पावर बैकअप और रेटिंग की बात करेंगे तो इस मामले में UPS बहुत महंगा होता है। यूपीएस इसके Machinery Or Circuit के कारण महंगा होता है।

Voltage

यूपीएस में Automatic Voltage Regulation (AVR) का इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए इसकी आउटपुट लगभग 220 Volts पर सेट की जाती है।
लेकिन इनवर्टर में आउटपुट इनपुट के ऊपर निर्भर करेगी जो कि लगभग 230 Volts के करीब होगी ।

Tuesday, June 19, 2018

Electrical based for power stations job, Interview based

        
        Electrical Topics Based

1. ट्रांसमिशन लाइन में पावर फैक्टर सुधारने के लिए प्रयुक्त उपकरण का ग्राही सिरा उपयुक्त होता है।
2. एक रासायनिक पदार्थ जिसका इस्तेमाल एक मैग्नेटिक टेप की परत चढ़ाने के लिए फेरिक ऑक्साइडकिया जाता है।
3. डीजल पावर प्लांट में 100 MW क्षमता की एक सिंगल यूनिट नहीं होती है।
4. इंडक्शन जनरेटर में एक विशेष पावर के लिए धारा तथा पावर फैक्टर कनेक्शन जरनेटर के पैरामीटर्स के पदो में व्यक्त किया जाता है।
5. हाइड्रोजन को कूलिंग का उपयोग केवल बड़े टर्बो अल्टरनेटर्स के लिए किया जाता है।
6. ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में सप्लाई दी जाती है।
7. एक आदर्श संधारित की बिजली की खपत शून्यहोती है।
8. सबसे अच्छा चालक पदार्थ तांबा है।
9. एक थर्मल प्लांट की संपूर्ण थर्मल दक्षता लगभग 25% – 30% होती है।
10. ए.सी. की पूरी एक साइकिल बनने में जो समय लगता है उसे पीरियाडिक टाइम कहते हैं।
11. सर्किट ब्रेकर का मुख्य कार्य है इलेक्ट्रिक लाइन और प्लांट को बहुत जल्दी से सर्किट से कट ऑफ कर देना होता है।
12. सीरीज मोटर का प्रयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है जहां हर समय लोड रहता है।
13. एक कार्बन माइक्रोफोन के कार्बन कणों का प्रतिरोध 100 से 200 ओम के क्रम होता है।
14. वोल्ट विद्युत वाहक बल की इकाई है।
15. हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट की स्थिर लागत सबसे अधिक होती है।
16. ज्वार तरंगों पर आधारित भारत का प्रथम प्लांट कच्छ की खाड़ी स्थान पर स्थापित होना संभावित है।
17. फ्यूज का तार सीसा तथा टीन से बना होता है।
18. वह धारा जो किसी निश्चित समय में अपने दिशा एवं मान परिवर्तित करती है उसे ए.सी. धारा कहते हैं।
19. न्यूक्लियर पावर प्लांट में प्रति मेगावाट स्थिर लागत अधिकतम है।
20. ए.सी.और आर.एम.एस. मान और औसतमान के अनुपात को फार्म फैक्टर कहते हैं।
21. डायमैग्नेटिक प्रदार्थ वे है जिनकी परमियांबिललिटी एक से कम होती है।
22. नाभिकीय रिएक्टर उस समय जेनरेशन प्रारंभ करता तब सेफ्टी रोड कोर से बाहर निकाली जाती है।
23. सार्वजनिक संबोधन प्रणाली में इस्तेमाल किए जाने वाले लाउडस्पीकर को एक हॉर्न लाउडस्पीकरकहां जाता है।
24. दाब युक्त जल रिएक्टर में हल्का जल तथा समृद्ध यूरेनियम प्रयुक्त किया जाता है।
25. एक कारट्रीज पिक अप में एक सिरेमिक क्रिस्टल और नीलमणि हुई है।
26. इंडक्शन जनरेटर धारीतीय लोड को सप्लाई करने के लिए अधिक उपयुक्त है।
27. मरकरी आर्क रेक्टिफायर का पावर फैक्टर ट्रांसफार्मर के द्वितीयक फेज पर निर्भर करता है।
28. विश्व का प्रथम नाभिकीय प्लांट सोवियत संघ में कमीशन किया गया।
29. हाइड्रोपावर प्लांट का प्रचलन मूल्य न्यूनतम है।
30. डीजल प्लांट का प्रचालन मूल्य सबसे अधिकहोता है।
31. अर्थ टेस्टर भूमि का प्रतिरोध जांचने के लिए प्रयोग में लिया जाता है।
32. पावर प्लांट में सामान्यतः सरफेस टाइप प्रकार का कंडेनसर प्रयुक्त किया जाता है।
33. बायलर में जल भाप के दाब से अधिक दाब पर सप्लाई किया जाता है।
34. एक गैंग संधारित का इंसुलेशन प्रतिरोध 100 ओम होता है।
35. मेगा ओम मीटर (मेगर)का मुख्य उपयोग दोषपूर्ण अवरोध का पता लगाना है।
36. ओम प्रतिरोध की इकाई है।
37. ट्रांसमिशन लाइन में यदि रिसीविंग सिरेपर लोड अचानक स्विच ऑफ कर दिया जाए तब फेज शिफ्ट बढ़ जायेगा।
38. यदि प्रकृति की यूरेनियम को फ्यूल की भांति प्रयुक्त किया जाए तब मोडरेटर भारी जल होता है।
39. इलेक्ट्रिकल उपस्करों के सभी मेटेलिक भागों को अर्थिंग करना आवश्यक है।
40. ए.सी. के उच्चतम मान और प्रारंभिक मान के अनुपात को पीक फैक्टर कहते हैं।
41. एक निश्चित शक्ति के लिए पावर फैक्टर पर सिस्टम द्वारा लगाई गई धारा न्यूनतम होगी।
42. वायरिंग करने के लिए तारे, लकड़ी के पेंट, मीटर बोर्ड आवश्यक सामग्री होती है।
43. सुरक्षा की दृष्टि से वायरिंग का चयन अग्नि से दूर, वायरिंग का मूल्य, यांत्रिक चोटो से बचाव बातों को ध्यान में रखकर करना चाहिए।
44. स्टीम पावर प्लांट में जल का उपयोग कंडेनसर में शीतलन के लिए किया जाता है।
45. न्यूक्लियर पावर प्लांट के प्रारंभिक लागत अधिकतम है।
46. इकोनोमाइजर्स का उपयोग फीड वाटर को गर्म करने के लिए किया जाता है।
47. फ्लेक्सिबल वायर वायरिंग पी.वी.सी. तार द्वारा की जाती है।
48. एक जेनर डायोड का पावर डिसिपेशन अधिकतम होता है जब लोड करंट शून्य होता है।
49. जब बड़े अल्टरनेटर्स की कूलिंग के लिए हाइड्रोजन प्रयुक्त की जाती है तब इंसुलेशन का जीवनबढ़ जाता है।
50. ए.सी. ट्रांसमिशन लाइन में लाइन के दोनों सिरों पर फेज वोल्टेज में अंतर का कारण लाइन का रिएक्टेन्स है।
51. MHD प्रणाली एसी तथा डीसी दोनों जनरेट करती है।
52. कार्बन माइक्रोफोन में खराब आवृत्ति प्रतिक्रिया होती है।
53. पावर फैक्टर संशोधन के लिए प्रयुक्त उपकरण सदा ट्रांसफार्मर के समीप स्थापित किया जाता है।
54. एक धारा वाहक सोलेनॉइड की ध्रुवीयता हेलिक्स रुल का प्रयोग करके निर्धारित की जा सकती है।
55. फ्लश स्विच को दीवार के अंदर लगाया जाता है।
56. आर्क फाइनेस उपभोक्ता के संस्थान द्वारा पीक लोड प्रदान किया जाता है।
57. फास्ट ब्रीडर रिएक्टर में प्रयुक्त मोडरेटर भारी जल ,ग्रेफाइट ,सामान्य जल है।
58. शंट मोटर की फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर के समांतरक्रम में लगी होती है।
59. एक बी और डब्लू टीवी रिसीवर के लिए विशिष्ट ई.एच.टी. वोल्टेज 18 KV है।
60. जब लोहे के पाइप को दीवार के साथ लकड़ी की गट्टी और सैंडल द्वारा फिक्स किया जाता है तो वह कंसील्ड वायरिंग कहलाती है।

बेसिक आँफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग

                      Basic Electronic 

अगर आप इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग किस क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो इसके लिए आप आईटीआई पॉलिटेक्निक बीटेक और एमटेक के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में जा सकते हैं लेकिन आईटीआई पॉलिटेक्निक या रिजेक्ट करने से ही आपको इलेक्ट्रॉनिक्स की जानकारी नहीं हो जाती इसके लिए आपको प्रेक्टिकल की भी जरूरत होती है। जितनी ज्यादा आप प्रैक्टिकल करेंगे उतनी ज्यादा आपको इलेक्ट्रॉनिक से संबंधित जानकारी मिलेगी यहां पर हम आपको इलेक्ट्रॉनिक्स थ्योरी Basic Electronic से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दे रहे हैं जो कि पहले इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की परीक्षा में पूछे गए हैं अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर जरूर करें

1.बायसिंग (Biasing) क्या होता है?
उत्तर. ट्रांजिस्टर के टर्मिनलों को बाहरी स्त्रोतों से संयोजित करने की प्रक्रिया बायसिंग कहलाती है इसकी इनपुट एवं आउटपुट बायसिंग के आधार पर ही ट्रांजिस्टर का प्रचालन निर्भर करता है N-P-N एवं P-N-P ट्रांजिस्टर की बायसिंग को निचे क्रमवार समझाया गया है।

2. पावर एम्पलीफायर (Power Amplifier) क्या है?
उत्तर. पब्लिक एड्रेसिंग एंपलीफायर रिसीवर ट्रांसलेटर आदि उपकरणों में एक पावर एंपलीफायर स्टेज अथवा आउटपुट स्टेज इस्तेमाल करना आवश्यक होता है जिसकी धारा वहन क्षमता काफी अधिक होती है पावर एंपलीफायर सर्किटस समांतर पशु-पुल एवं कॉन्प्लिमेंन्ट्री सिमेंट्री प्रकार के होते है।

3. वेव शेपिंग परिपथ (Wave Shaping Circuit) क्या है?
उत्तर. वेवशेपिंग वस्तुतः सिग्नल प्रोसेसिंग का एक भाग है जिसमें सिग्नल वेवफार्म को प्रवर्धन से पहले आवश्यक वांछित आकृति प्रदान की जाती है इस प्रक्रिया के माध्यम से कुछ नेटवर्कों का इस्तेमाल करके पुरानी वेवफार्म को नयी वेवफार्म में परिवर्तित किया जाता है वेवशेपिंग का यदि विस्तृत विवेचन करें तो पाएंगे कि यह रेखीय अथवा अरेखीय प्रकार की हो सकती है रेखीय वेवशेपिंग परिपथ में रेखीय अवयवों; R,L एवं C ; का इस्तेमाल किया जाता है जबकि अरेखीय वेवशेपिंग परिपथ में अरेखीय अवयवों डायोड,ट्रांजिस्टर आदि का इस्तेमाल किया जाता है।

4. ट्रांजिस्टर (Transistor) क्या होता है?
उत्तर. ट्रांजिस्टर जिन दो शब्दों के सहयोग से मिलकर बना है उसमें से एक शब्द ट्रांस है जिसका अर्थ स्थानांतरण है तथा दूसरा शब्द रेजिस्टेंस है जिसका अर्थ प्रतिरोध है इन दोनों शब्दों का अर्थ होता है प्रतिरोध का स्थानांतरण ट्रांजिस्टर में तीन इलेक्ट्रोड होते हैं प्रथम इलेक्ट्रोड का उत्सर्जक या एमीटर दूसरे को बेस तथा तीसरे को संग्राहक या कलेक्टर कहते हैं।

5. क्लेम्पिंग परिपथ (Clamping Circuit) क्या है?
उत्तर. क्लैम्पिंग परिपथ एक ऐसा डी.सी. परिपथ है जो किसी तरंग रूप के वोल्टेज स्तर को वांछित स्तर में परिवर्तित कर देता है सामान्य भाषा में इस परिपथ के द्वारा इनपुट सिग्नल के डी.सी. अवयव को जोड़ा अथवा घटाया जाता है इसे डी.सी. रिस्टोर एवं लेवल शिफ्टर भी कहते हैं आउटपुट पर प्राप्त सिग्नल के स्तर के आधार पर क्लैम्पिंग परिपथ को धनात्मक एवं ऋणआत्मक प्रकारों में बांटा गया।

6. रेडियो फ्रीक्वेंसी एंपलीफायर (Radio Frequency Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. इस प्रकार के एंपलीफायर 20 किलो हट्र्ज से 3 X10/6 हट्र्ज या 3 मेगा हट्र्ज के मध्य के सिग्नल को एंपलीफाई करने के काम आते हैं इनका इस्तेमाल ट्रांसमीटर तथा सर्विस आसिलेटर में किया जाता है।

7.मल्टीवाइब्रेटर (Multivibrator) क्या है?
उत्तर. मल्टीवाइब्रेटर सर्किट का इस्तेमाल मुख्यतः वर्गाकार वेव उत्पन्न करने के लिए किया जाता है मल्टीवाइब्रेटर सर्किट 3 प्रकार के होते हैं।

8. कैस्केड या मल्टी स्टेज एम्पलीफायर (Cascade Or Multistage Amplifier) क्या है?
उत्तर. दो या दो से अधिक स्टेज वाला ऐसा एंपलीफायर सर्किट जिसमें केवल R-C कपलिंग इस्तेमाल की गई हो कैस्केड एम्पलीफायर या मल्टीस्टेज एम्पलीफायर कहलाता है इसका फ्रीक्वेंसी रेस्पोस ऑफ फ्रीक्वेंसी पर भी उत्तम होता है।

9. प्रेरक फिल्टर सर्किट (Inductor Filter Circuit) क्या होता है?
उत्तर. इस सर्किट में आउटपुट की और एक इंडक्टर लोड प्रतिरोधक RL के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है.एक इंडक्शन क्वॉयल को लोड प्रतिरोधक की श्रेणी में जोड़कर आउटपुट रेक्टिफाइड धारा के स्पन्दन को कम किया जाता है।

10. मोनो स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर (MonoStable MultiVibrator) क्या है?
उत्तर. मोनोस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर के केवल एक ही स्टेबल दशा होती है इसे स्टेबल दशा से ऑपरेट होने की दशा में लाने के लिए ट्रिगर-प्लस की आवश्यकता होती है ट्रिगर प्लस के बाद यह एक निश्चित समय तक ऑपरेट रहने के बाद यह पुन: स्टेबल दशा में पहुंच जाता है इस सर्किट में दो में से एक ट्रांजिस्टर को ऑन स्थिति में रखकर ट्रिगर प्लस दिया जाता है जिसके कारण प्रचालन की दशा बदलने लगती है इस परिवर्तन के कारण और ऑसिलेशन बनाने प्रारंभ हो जाते हैं तथा एक निश्चित समय के बाद सर्किट पुन: स्टेबल अवस्था में पहुंच जाता है इस सर्किट का इस्तेमाल कंप्यूटर्स में किया जाता है।

11. संक्रियात्मक प्रवर्धक (Operational Amplifier) क्या है?
उत्तर. संक्रियात्मक प्रवर्धक (Operational Amplifier) मूलतः एक मल्टीस्टेज अति उच्च लाभयुक्त एवं प्रत्यक्ष कपल्ड ऋणआत्मक फीडबैक प्रबंर्धक होता है जो कि एक स्थिर वोल्टेज लाभ प्रदान करने के लिए वोल्टेज शंट फीडबैक का इस्तेमाल करता है ऑपरेशनल एंपलीफायर को व्यवहारिक भाषा में Op-Amp के नाम से जाना जाता है एक ऑपरेशनल एंपलीफायर की इनपुट प्रतिबाधा उच्च होती है तथा आउटपुट प्रतिबाधा निम्न होती है जिसके फलस्वरुप यह 0 Hz से 1 MHz तक की आवृत्ति वाले सिग्नलों को प्रतिर्धित कर सकता है इसके द्वारा ए.सी. एंव डी.सी. दोनों प्रकार के सिग्नलों को प्रतिर्धित किया जाना संभव होता है Op-Amp एक रेखीय IC होती है जिसको मुख्य रूप से गणितीय संक्रियाओं को संपन्न कराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

12. श्रेणी C एंपलीफायर (Class C Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. वह एंपलीफायर जिसमें सिग्नल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किए गए हो कि इनपुट सिग्नल के आधे से कम समय के लिए धारा प्रवाहित होती हो वह वर्ग सी एंपलीफायर कहलाता है इस एंपलीफायर की फाइडेलिटी न्यूनतम डिस्टॉर्शन अधिकतम तथा आउटपुट पावर अधिकतम होती है इसकी दक्षता 70-75% तक होती है इससे ट्रांसमीटर में RF एंपलीफायर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

13. ऑडियो फ्रीक्वेंसी एंपलीफायर (A.F.Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. इस प्रकार के एंपलीफायर्स ऑडियो फ्रीक्वेंसी के सिंग्नल को बिना किसी विरूपण के एंपलीफाई करने के लिए या पावर एंपलीफायर के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं इनका इस्तेमाल पब्लिक एड्रेसिंग एंपलीफायर,रेडियो तथा टी.वी. रिसीवर की साउंड आउटपुट स्टेज आदि में किया जाता है।

14. श्रेणी A एंपलीफायर (Class A Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. वह एंपलीफायर जिसमें सिग्नल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि इनपुट सिग्नल के पूरे समय के लिए कलेक्टर धारा प्रवाहित होती रहे श्रेणी ‘A, एंपलीफायर कहलाता है इस एंपलीफायर की फाइडेलिटी की सर्वोत्तम डिस्टॉर्शन न्यूनतम तथा आउटपुट पावर कम होती है इसकी दक्षता 20%-35% तक होती है श्रेणी A वर्ग के एंपलीफायर्स को प्री-एम्प्लीफायर तथा AF एंपलीफायर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

15. श्रेणी AB एंपलीफायर (Class AB Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. वह एंपलीफायर जिसमें सिग्नल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि इनपुट सिग्नल के आधे से अधिक परंतु पूरे कम समय के लिए कलेक्टर धारा प्रवाहित होती हो वर्ग AB एंपलीफायर कहलाता है इस प्रकार के एंपलीफायर निम्न सिग्नल स्तर पर स्वत ही वर्ग ए की भांति कार्य करने वाले हैं इस एंपलीफायर की फाइडेलिटी एवं आउटपुट पावर श्रेणी A तथा B के मध्य होती है इसमें निम्न सिग्नल स्तर पर कोई डिस्टॉर्शन नहीं होता है तथा दक्षता 35-50% होती है।

16. वीडियो एंपलीफायर (Video Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. वह एंपलीफायर जो की लगभग 4 से 7 मेगा हट्र्ज चौड़े बैंड का एप्लीफिकेशन करता है वीडियो एंपलीफायर कहलाता है इसे पल्स या वाइड एंपलीफायर भी कहते हैं।

17. आर.सी.कपल्ड (R.C.Coupled Amplifier) एम्पलीफायर क्या है?
उत्तर. इस प्रकार के एंपलीफायर में प्रतिरोधक का इस्तेमाल कलेक्टर सर्किट में लोड प्रतिरोधक के रूप में किया जाता है तथा एक स्टेज के आउटपुट सिग्नल को दूसरी स्टेज के इनपुट में पहुंचाने के लिए के कैपेसिटर का इस्तेमाल किया जाता है इस प्रकार के एंपलीफायर की फाइडेंलिटी व इंपीडैन्स ट्रांसफार्मर कपल्ड की अपेक्षा अच्छी होती है अंत:इसका इस्तेमाल व्यापक रूप में किया जाता है।

18. बाई स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर (Bistable MultiVibrator) क्या है?
उत्तर. बाइस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर को फ्लिप-फ्लॉप परिपथ के नाम से भी जाना जाता है इसमें दो आउटपुट सिग्नल प्राप्त होते हैं जो कि हमेशा एक-दूसरे के विपरीत होते हैं अंत: एक आउटपुट उच्च (1)होने पर दूसरे आउटपुट निम्न (2) हो जाती है इसके परिपथ में दो ट्रांजिस्टर (T1एवं T2) का इस्तेमाल किया जाता है इसमें जब ट्रांजिस्टर (T1) ऑन होता है तब ट्रांजिस्टर (T2) ऑफ होता है अथवा इससे विपरीत स्थिति होती है.बाइस्टेबल परिपथ में दो स्थिर अवस्थाएं होने के कारण ही इसे बाइस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर कहते हैं इसका इस्तेमाल क्रमिक डिजिटल परिपथों में मैमोरी सैल अथवा रजिस्टर की भांति करते हैं यह एक बाइनरी बिट को स्टोर करने की क्षमता रखता है।

19. क्लिपिंग परिपथ (Clipping Circuit) क्या है?
उत्तर. क्लिपर या लिमीटर परिपथ का कार्य ए.सी. तरंग रूप के धनात्मक या ऋणआत्मक उच्च आयाम के निश्चित अवांछित भाग को पृथक करना है यह श्रेणी एवं शंट प्रकार के होते हैं जोकि डायोड को परिपथ में लगाए जाने की स्थिति पर निर्भर करते हैं।

20. Π टाइप फिल्टर सर्किट (Π Type Filter Circuit) क्या होता है?
उत्तर. यदि दो कैपेसिटर के मध्य एक इंडक्टर जोड़कर फिल्टर सर्किट का निर्माण किया जाए तब इस प्रकार के सर्किट को Π टाइप फिल्टर सर्किट कहते हैं।

21. वोल्टेज एंपलीफायर (Voltage Amplifier) क्या है?
उत्तर. वह सर्किट जिसके द्वारा कमजोर इनपुट सिग्नल की वोल्टेज उसकी आउटपुट पर बढ़कर प्राप्त होती हो वोल्टता एंपलीफायर कहलाता है ये एंपलीफायर्स ऑडियो,रेडियो आई एफ तथा वीडियो फ्रीक्वेंसी के लिए इम्पीडैन्स ट्रांसफार्मर अथवा डायरेक्ट कपल्ड प्रकार के होते हैं।

22. इम्पीडेन्स कपल्ड एम्पलीफायर (Impedance Coupled Amplifier) क्या है?
उत्तर. इस प्रकार के एंपलीफायर मे कलेक्टर सर्किट में इंडक्टर का इस्तेमाल लोड के रूप में किया जाता है तथा एक स्टेज के आउटपुट सिग्नल को दूसरी स्टेज के इनपुट में पहुंचाने के लिए कैपेसिटर का इस्तेमाल किया जाता है अतः इस एंपलीफायर को एल.सी. कपल्ड एंपलीफायर भी कहते हैं इस एंपलीफायर की फाइडेंलिटी अच्छी नहीं होती है क्योंकि इसका एप्लीफिकेशन सिग्नल की फ्रीक्वेंसी बढ़ने पर बढ़ता है तथा घटने पर घटता है।

23. डायरेक्ट कपल्ड एम्पलीफायर(Direct Coupled Amplifier) क्या है?
उत्तर. इस प्रकार के एंपलीफायर में पहले ट्रांजिस्टर को दूसरे ट्रांजिस्टर से सीधे जोड़ दिया जाता है अंतः दूसरे ट्रांजिस्टर के बेस का वोल्टेज पहले ट्रांजिस्टर के कलेक्टर के समान होता है इस एंपलीफायर की फाइडेंलिटी Hz से MHz के फ्रीक्वेंसी रेंज में सबसे अच्छी होती है इसका इस्तेमाल टी.वी. रिसीवर में वीडियो एंपलीफायर के रूप में किया जाता है।

24. P-N-P ट्रांजिस्टर की बायसिंग (P-N-P Biasing Transistor) क्या है?
उत्तर. P-N-P ट्रांजिस्टर के फॉरवर्ड बायसिंग सर्किट में एमिटर को बैटरी के पॉजिटिव सिरे से तथा कलेक्टर को बैटरी के नेगेटिव सिरे से जोड़ा गया है बेस को कलेक्टर की अपेक्षा काफी कम नेगेटिव पोटेशियम पर रखा जाता है परंतु अधिकांश होल्स को कलेक्टर का प्रबल ऋणआत्मक क्षेत्र अपनी और आकर्षित कर देता है यह एमीटर का पॉजिटिव आवेश होल्स का एमीटर बेस जंक्शन कुछ मात्रा में अपनी और आकर्षित करता है यह एमीटर से चलकर होल्स कलेक्टर पर पहुंच जाता है इस ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल एम्प्लिफिकेशन कार्य के लिए किया जाता है।

25. प्रवर्धक (Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. ट्रांजिस्टर अथवा आई.सी. से निर्मित ऐसा सर्किट,जो किसी सिग्नल की शक्ति को बढ़ा देता है प्रवर्धक या एंपलीफायर कहलाता है जबकि इसके द्वारा कमजोर सिग्नल के वोल्टेज अथवा पावर बढ़ाने की क्रिया को प्रवर्धन या एम्प्लिफिकेशन कहते हैं एंपलीफायर के आउटपुट तथा इनपुट के अनुपात को उसका प्रवर्धन लाभ कहते हैं किसी अच्छे एंपलीफायर में अनुरूपता स्थायित्व शोर रहित प्रचालन अच्छा फ्रीक्वेंसी रिस्पांस एवं तरंगदैर्ध्य के गुण विद्यमान होने चाहिए।

26. इंटरमीडिएट फ्रीक्वेंसी एंपलीफायर (Intermediate Frequency Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. वह एंपलीफायर,जो कि एक निश्चित रेडियो फ्रीक्वेंसी पर सिग्नल एवं एप्लीकेशन करता है इंटरमीडिएट फ्रीक्वेंसी एंपलीफायर कहलाता है।

27. दोलित्र (Oscillator) क्या है?
उत्तर. ऑसिलेटर एक इलेक्ट्रॉनिक्स परिपथ है जिसमें उसकी इनपुट पर ए.सी. सिग्नल दिए बिना ही आउटपुट पर इच्छित ए.सी. सिग्नल प्राप्त किया जाता है. ऑसिलेटर के लिए धनात्मक फीडबैक का इस्तेमाल किया जाता है यह आउटपुट पर उत्पन्न वेवफार्म के आधार पर ज्यावक्रीय एवं अज्यावक्रीय के प्रकार के होते हैं।

28. N-P-N ट्रांजिस्टर की बायसिंग (N-P-N Biasing Transistor) क्या है?
उत्तर. N-P-N ट्रांजिस्टर के फॉरवर्ड बायसिंग सर्किट में एमीटर को बैटरी के नेगेटिव सिरे से तथा कलेक्टर को बैटरी के पॉजिटिव सिरे से संयोजित किया गया है N-P-N ट्रांजिस्टर सर्किट में धारा/करंट का प्रवाह मुक्त ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रॉन्स के द्वारा होता है एमिटर से चलकर कलेक्टर पर पहुंचने वाले मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या का नियंत्रण बहुत कम मान की बेस बायसिंग द्वारा होता है इस गुण के आधार पर ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल एम्प्लिफिकेशन आदि कार्यो के लिए किया जाता है।

29. अस्टेबल अथवा फ्री रनिंग मल्टीवाइब्रेटर (Astable Or Free Running Multivibrator) क्या है?
उत्तर. अस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर स्क्वायर वेव उत्पन्न करता है यह दो स्टेज वाला R.C. कपल्ड एंपलीफायर सर्किट है इसमें प्रथम एंपलीफायर स्टेज की आउटपुट को दूसरी स्टेज की इनपुट से कपल्ड किया गया है.जब सिग्नल,प्रथम स्टेज की इनपुट को दिया जाता है तब इसका फेज,प्रथम स्टेज के एंपलीफायर की आउटपुट के विपरीत हो जाता है तथा जब यह दूसरी स्टेज के एंपलीफायर से गुजरता है तब इस सिग्नल का फेज मूल सिग्नल के फेज के समरुप हो जाता है इस प्रकार आउटपुट से प्राप्त सिग्नल को प्रथम ट्रांजिस्टर के वेस को वापस भेजा जाता है जोकि धनात्मक फीडबैक का कार्य करता है फीडबैक की मात्रा इतनी अधिक होती है कि ट्रांजिस्टर संतृप्त तथा कट-ऑफ के मध्य कार्य करता है।

30. श्रेणी B एंपलीफायर (Class B Amplifier) क्या होता है?
उत्तर. वह एंपलीफायर जिसमें सिग्नल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि इनपुट सिग्नल के लगभग आधे समय के लिए ही कलेक्टर धारा प्रवाहित होती हो वह वर्ग भी एंपलीफायर कहलाता है इस एंपलीफायर की फाइडेलिटी कम डिस्टॉर्शन लगभग 50-60% तक तथा आउटपुट पावर अधिक होती है इसकी दक्षता 50% होती है

31. L-C फिल्टर सर्किट (L-C Filter Circuit) क्या होता है?
उत्तर. यदि किसी सर्किट में पहले इंडक्टर लोड प्रतिरोधक RL की श्रेणी में तो तथा इसके पश्चात कैपिसिटर लोड के समानांतर क्रम में जोड़ा जाए तब इस प्रकार के फिल्टर सर्किट को L- टाइप या L-C फिल्टर सर्किट कहते हैं।

32. संधारित्र फिल्टर सर्किट (Capacitor Filter Circuit) क्या होता है?
उत्तर. इस रेक्टिफायर से प्राप्त आउटपुट में जुड़े प्रतिरोधक RL के समानांतर में जोड़ते हैं इसलिए इसे शंट कैपेसिटर फिल्टर सर्किट भी कहते हैं इस प्रकार प्राप्त डी.सी. आउटपुट में रिपल फैक्टर का मान कम होता हैै

Electrical Engineering Basics

1. उच्चतम दक्षता प्राप्त करने के लिए डी. सी. जनित्र में ब्रशों को रखना चाहिए. 
उत्तर. चुम्बकीय उदासीन अक्ष पर

2.एक 220 V D.C. मोटर में 0.2 का आर्मेचर प्रतिरोध है और 215 V का बैंक E.M.F. है तो इसमें कितनी धारा बह रही है। 
उत्तर. 25 एम्पियर

3. फ्यूज का कार्य है 
उत्तर. धारा को रोकना

4. कम क्षमता वाली डी. सी. मशीन की योक ……… की बनायीं जाती है। 
उत्तर. कास्ट -आयरन

5. परिणामित्र स्टार डेल्टा संयोजन में प्राइमरी फेज वोल्टेज ———- 
उत्तर. VL/3

6. प्रायमरी परिपथ की 100 – 200 एम्पियर विधुत विधुत धरा को केवल 1 – 2 एम्पियर विधुत धारा परिवर्तित किया जाता है 
उत्तर. धारा परिणामित्र

7. जब दो ट्रांसफॉर्मर समान्तर क्रम में काम कर रहे है तो वे किस के आधार पर लोड बाँटेगे 
उत्तर. KVAरेटिंग

8. यदि कोई डी.सी.शंट मोटर लोडरहित अवस्था में कार्यरत है और उसकी फील्ड -वाइडिंग ओपन -सर्किट हो जाय तो क्या होगा।
उत्तर. मोटर की घूर्णन गति उच्च हो जाएगी

9. यदि आर्मेचर वाइडिंग के पोलो की संख्या 2 है तो समानान्तर पथो की संख्या होगी।
उत्तर. 2

10. डायनेमोमीटर प्रकार के यन्त्र में स्थिर रखा जाता है  उत्तर. धारा कुंडलियों को

11. तापीय बिजली प्लांट में प्रयुक्त होने वाले कोयले में राख की मात्रा …….. होती है।
उत्तर. करीब 20 %

12. रिले का मुख्य कार्य है –
उत्तर. फॉल्ट ढूढ़ना

13. कम्पाउन्डिड डी.सी. जेनरेटर का एक उपयोग है। उत्तर. इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए

14. नमी सोखने के बाद सिल्का जैल का रंग हो जाता है उत्तर. नीला

15. यदि किसी कार्यरत डी.सी. सीरीज मोटर की फील्ड -वाइंडिंग अचानक ओपन -सर्किट हो जाए तो क्या होगा।
उत्तर. मोटर रुक जाएगी

16. खुला परिपथ परिक्षण द्वारा _________ का मान ज्ञात किया जाता है ।
उत्तर. आयरन लॉस

17. थर्मिस्टर का प्रतिरोध , तापमान वृद्धि से…….. उत्तर. घटता है
18 किसी थर्मल पावर प्लांट की दक्षता करीब……… होता है।
उत्तर. 35 %

19. वैधुतिक मापक यंत्रों की कंपनी के निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त धातु है – 
उत्तर. फास्फर ब्रॉन्ज़

20. एक लंबे शंट कम्पाउण्ड जेनरेटर में निर्मित वोल्टेज 400 वोल्ट है ,फील्ड शंट रेजिस्टेंस 80 ओह्म है। शंट फील्ड करंट की गणना कीजिए।
उत्तर. 5.0amp

21. डी.सी. जेनरेटर की रेटिंग की जाती है। 
उत्तर. किलो -वाट में

22. पीक भार सयंत्र कार्यरत होते है।
उत्तर. निम्न लोड गुणक पर

23. लिफ्ट में कौन -सी मोटर को तहजील देते है।
उत्तर. डी. सी. सीरीज मोटर

24. ट्रांसफार्मर की दक्षता – 
उत्तर. 95 % से 98 %

25. किसी जनित्र में लैप वाइंडिंग स्थापित करने का कारण है।
उत्तर. अधिक करंट व कम वोल्टेज प्राप्त करना

26. अक्ष के परितः मोड़ने या मरोड़ने बल आघूर्ण को कहा जाता है।
उत्तर. टॉर्क

27. गीजर में फ्यूज बार बार उड़ रहा है कारण बताये – उत्तर. हीटिंग एलीमेंट का सतह से टच होना

28. कॉमन बेस ट्रांसिस्टर विन्यास का करंट गेन – 
उत्तर. 0.95

29. डी सी जनित्र की दक्षता – 
उत्तर. 85% से 95 % तक

30. जर्मेनियम डायोड की डिप्लेशन लेयर के समान्तर वोल्टेज…………. है।
उत्तर. 0.3 V

31. D.C. शंट मोटर का उपयोग नीचे लिखे निम्न प्रयोगों में से किसमे होता है।
उत्तर. मशीन उपकरण ड्राइव के साथ

32. एक ईधन सैल……….ऊर्जा को विघुत ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
उत्तर. रासायनिक

33. डी.सी.मोटर का बैक Emf(Eb)की गणना करने के लिए ,सूत्र क्या होगा।
उत्तर. Eb=V-IaRa

34. कौन -सा नियम डी.सी.मोटर में कंडक्टर की गति की दिशा की पहचान करने के लिए लागू किया जाता है। उत्तर. फ्लेमिंग बाँए हाथ का नियम

35. एच.आर.सी. फ्यूज के फ्यूजिंग कारक क्या है – उत्तर. 1.1

36. एक विघुत हीटर 250V,1500W तथा 500 डिग्री सेंटीग्रेड C पर कार्य कर रहा है तो हीटिंग एलीमेन्ट में धारा तथा प्रतिरोध की गणना कीजिए। 
उत्तर. 6 Ampsऔर 41.66 Ohms

37. सुरक्षा युक्ति किसी उपकरण को ………के विरूध्द सुरक्षा प्रदान करती है।
उत्तर. अतिभार , लघु -पथ , विघुत झटका

38. भारत में ऑपरेटिंग आवृति………. है।
उत्तर. 50 हर्ट्ज

39 विघुत हीटर की कनेक्टिंग लीड में किस पदार्थ का इन्स्लैटिंग सामग्री प्रयोग होता है. उत्तर. पोर्सलीन पदार्थ
40. एक BOT इकाई _________ है।
उत्तर. 746 वाट घण्टे

41. ट्रांसफार्मर में तेल प्रयोग करने का उद्देश्य – 
उत्तर. इंसुलेशन एवं शीतलन

42. एक D.C. मोटर का लोड और फलक्स अचल और प्रायोगिक वोल्टेज को 5 % बढ़ाते है जो आर्मेचर के बीच में है तो मोटर की गति होगी।
उत्तर. 5 % बढ़ जाएगी

43. कण्ट्रोल सर्किट में उपयोग होने वाले कण्ट्रोल ट्रांसफार्मर का रेगुलेशन …….. से अधिक नहीं होना चाहिए ।
उत्तर. 5 %

44. सर्किट ब्रेकर में अधिकतम ऊर्जा जिसे फाल्ट होने पर सर्किट ब्रेकर आसानी से बाधित कर सकता है ,कहा जाता है ।
उत्तर. रप्चरिंग क्षमता

45. एक मीटर ब्रिज में संतुलित अवस्था में I1 = 25 CM , I2 = 75 CM और ज्ञात प्रतिरोध 60 ओह्म हो तो अज्ञात प्रतिरोध का मान होगा।
उत्तर. 20 ओह्म

46. डी सी जनित्र का कार्य सिद्धांत है – 
उत्तर. फैराडे का विधुत चुंबकीय नियम

47. एक किलो वाट घंटा (KWA) मापी यन्त्र को निम्न में से किस वर्ग में रखा जा सकता है ।
उत्तर. इंडिग्रेटिंग

48. डी.सी. थ्री प्वॉइंट स्टार्टर के हैंडल को चालू अवस्था में अपने पास चिपकाए रखती है।
उत्तर. N.V.C.

49. बर्कहासन के अनुसार फेज -शिफ्ट का मान होता है? उत्तर. शून्य

50. जब प्राथमिक और माध्यमिक वोल्टेज एक ही वाइडिंग से प्राप्त हो रहे है उस ट्रांसफॉर्मर को कहा जाता है? 
उत्तर. ऑटो ट्रांसफॉर्मर

                      wireman based

1. यदि किसी व्हीट स्टोन ब्रिज में P =20 ओह्म Q = 100 ओह्म S= 60 ओह्म होतो अज्ञात प्रतिरोध R का मान होगा | 
उत्तर. 12 ओह्म

2. अच्छे वोल्ट सुग्राहिता उच्च होना चाहिए 
उत्तर. ओह्म प्रति वोल्ट

3. लघु परिपथ परिक्षण द्वारा _________ का मान ज्ञात किया जाता है | 
उत्तर. कॉपर लॉस

4. मेगर का प्रयोग – 
उत्तर. इन्सुलेशन मापने

5. किस यन्त्र का प्रयोग केवल डी सी परिपथों की विधुत शक्ति मापने में है | 
उत्तर. फेरंटी एम्पियर घंटा यन्त्र

6. हार्टले दोलित्र सामान्यतया किसमें उपयोग किए जाते है ? 
उत्तर. रेडियो रिसीवर में

7. क्रिस्टल दोलित्र में प्रयोग किया जाता है ? 
उत्तर. पीजोइलेक्ट्रक क्रिस्टल

8. किस प्रकार का ऑसीलेटर संकेत जेनरेटर प्रयोग किया जाता है ? 
उत्तर. रिलेक्सेशन ऑसीलेटर

9. यदि किसी व्हीट स्टोन ब्रिज में P =10 ओह्म Q = 100 ओह्म S= 60 ओह्म होतो अज्ञात प्रतिरोध R का मान होगा ।
उत्तर. 6 ओह्म

10. शरीर के गर्म /ठंडे होने की डिग्री…………… कहलाती है
 उत्तर. तापमान

11. ट्रांजिस्टर रेडियो के लिए कोन सी सप्लाई चाहिए . उत्तर.कम वोल्टेज D.C

12. किस मोटर की फील्ड वाइंडिंग पतले तार एवं अधिक लपटों वाली बनाई जाती है | 
उत्तर. शंट मोटर

13. किसी प्रदार्थ का रजिस्टेंस कम होता है – 
उत्तर. मुक्त इलेक्ट्रोन की संख्या अधिक हो

14. क्रिस्टल दोलित्र ,स्थिर आवृति दोलित्र है ? 
उत्तर. उच्च Q के कारण

15. कॉपर की विशिष्ट ऊष्मा……….है।
उत्तर. 2.5

16. 11KVलाइन की ऊंचाई सामान्यतः होनी चाहिए ? 
उत्तर. अ 6.096 M

17. मोटर की गति आरपीएम में किस यन्त्र द्वारा मापते है – 
उत्तर. टेकोमीटर

18. बैट्री चार्जिंग के लिए उपयुक्त जनित्र –
उत्तर. शंट जनित्र

19. एक मीटर ब्रिज में संतुलित अवस्था में I1 = 25 CM , I2 = 75 CM और ज्ञात प्रतिरोध 90 ओह्म हो तो अज्ञात प्रतिरोध का मान होगा | 
उत्तर. 30 ओह्म

20. ऑटो ट्रांसफॉर्मर का अनुप्रयोग क्या है ? 
उत्तर. श्रृंखला लाइन बूस्टर

21. बाइनरी संख्या 0011 तथा 0110 को जोड़ने पर प्राप्त संख्या है।
उत्तर. 1001

22. सर्वाधिक संग्राहक दक्षता होती है . 
उत्तर. वर्ग -C शक्ति प्रवर्धक में

23. आदर्श प्रवर्धक का शोर गुणाक होता है. 
उत्तर. 0 DB

24. निम्न प्रदार्थों में से किसका ताप कोएफीशिएन्ट लगभग शून्य होता है ? 
उत्तर. मैगनीन

25. सुरक्षा के सूचनात्मक चिन्ह निम्न में से किस आकार में बनाए जाते है ? 
उत्तर. वर्गाकार

26. दो बिंदुओं स्टार्टर किस प्रकार की मोटर को चालू करने के लिए उपयुक्त है? 
उत्तर. केवल श्रेणी मोटर

27. किसी सामग्री से ट्रांसफॉर्मर के कोर का निर्माण होता है ? 
उत्तर. सिलिकॉन लोह इस्पात

28. निम्न के द्वारा ली गई माप अधिक यथार्थ होती है | उत्तर. मूविंग आयरन यन्त्र

29. लाइट एंड पंखे उप परिपथ का कुल लोड होता है | उत्तर. 800 वाट

30. फ्लेमिंग के वाये हस्त के नियम के अनुसार अंगूठा इंकित करेगा | 
उत्तर. चालक की घुमाव की दिशा

31. किस प्रकार के एम्प्लीफायर में सबसे ज्यादा पावर गेन है. 
उत्तर. कॉमन एमीटर एम्प्लीफायर

32. किसी वैधुत परिपथ में धारा मापने के लिए अमीटर को परिपथ के ___________
उत्तर. सिरिज मे लगाते है

33. CTC फायर एक्सटिंग्यूसर का प्रयोग किस प्रकार की आग बुझाने में किया जाता है ? 
उत्तर.बिजली

34.. थायरिस्टर को कहा जा सकता है. 
उत्तर. D.C. स्विच

35. डी सी बल आधूर्ण किसके समानुपाती होता है | उत्तर. आर्मेचर धारा

36. किस मोटर में शंट फील्ड को श्रेणी क्रम में संयोजित आर्मेचर तथा सीरीज फील्ड के समान्तर क्रम में संयोजित किया जाता है | 
उत्तर. लॉन्ग शंट कम्पाउंड मोटर

37. किस कारण से डी.सी. मोटर की ब्रश चेटरिंग या हिसिंग तरह की आवाज निकलती है ऑपरेशन के वक्त ?
 उत्तर. गलत ब्रश स्प्रिंग दबाव

38. बायो गैस का उत्पादन किया जाता है ।
उत्तर. पशुओं के गीले गोवर से

39. इंसुलेशन मापने के लिए प्रयुक्त मीटर है ।
उत्तर. मैगर
40. कम्पाउंड मोटर में सबसे कम प्रतिरोध किसका होता है ? 
उत्तर.आर्मेचर का

41. कौन सा ऊर्जा स्त्रोत विधुत शक्ति के उत्पादन हेतु प्रचलित है | 
उत्तर. सूर्य का प्रकाश ,वायु प्रवाह ,ज्वार – भाटा

42. CO2फायर एक्सटिंग्यूसर का प्रयोग नहीं करते है . उत्तर.पेट्रोल की आग बुझाने में

43. दो ट्यूबलर खम्बों के बीच राखी जाने वाली दूरी होनी चाहिए | 
उत्तर. 50-80 मी

44. छत के पंखे का बीच का रोटर घूम रहा है तो कोन सा पंखा हो सकता है ? 
उत्तर. D.C

45. ट्रायोड वाल्व की भांति ही तीन अर्धचालक खंडो वाली उक्ति कहलाती है |
 उत्तर. ट्रांसिस्टर

47.NPN ट्रांजिस्टर को PNP ट्रांजिस्टर की वरीयता दी जाती है कइयों ? 
उत्तर. प्रचलन तापमान की बड़ी सीमा

48. FSD का पूरा नाम – 
उत्तर. Full Scale Deflection

49. 66 किलो वोल्ट भूमिगत लाइन में प्रयोग किये जाने वाला केविल है 
उत्तर. ई एच टी केबिल

50. किसी यंत्र की संवेदनशीलता की इकाई है. 
उत्तर. ओह्म /वोल्ट

51. एकल चरण ट्रांसफॉर्मर के इनपुट पक्ष को कहा जाता है? 
उत्तर. मुख्य रूप पक्ष

52. सब स्टेशन से विधुत शक्ति को वितरण केंद्र तक पहुंचाने वाली लाइन ——–कहलाती है 
उत्तर. डिस्ट्रीब्यूशन लाइन

53. विधुत का सबसे अच्छा चालक – उत्तर. चांदी
54. 100 W,250 V बल्व का रेजिस्टेंस – 
उत्तर. 625 Ohm

55.जब कापर व आयरन जंक्शन के थर्मोकपल को गर्म किया जाता है तब ठन्डे सिरे से इलेक्ट्रोन ……. 
उत्तर. कापर से आयरन की तरफ चलते है

1. HT = High Tension (Transformer HT Side) = हाई टेंशन

2. LT = Low Tension = लो टेंशन

3. AB Switch = Air Break Switch = एयर ब्रेक स्विच

4. DO Fuse = Drop Out Fuse = ड्राप आउट फ्यूज

5. ACB = Air Circuit Breaker = एयर सर्किट ब्रेकर

6. VCB = Vacuum Circuit Breaker = वैक्यूम सर्किट ब्रेकर

7. SF6 Circuit Breaker = Sulphur Hexafluoride Circuit Breaker = सल्फर हेक्साफ्लोराइड सर्किट ब्रेकर

8. ACDB = Alternating Current Distribution Board =अल्टरनेटिंग करंट डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

9. DCDB =Direct Current Distribution Board = डायरेक्ट करंट डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

10.PDB = Power Distribution Board = पावर डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

11.MPDB = Main Power Distribution Board = मेन पावर डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

12.PCC = Power Control Centre = पावर कंट्रोल सेंटर

13.MCC = Motor Control Centre = मोटर कंट्रोल सेंटर

14.MCP = Motor Control Panel = मोटर कंट्रोल पैनल

15.VVVF = Variable Voltage Variable Frequency Drive = वेरिएबल वोल्टेज वेरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव

16.VSD = Variable Speed Drive = वेरिएबल स्पीड ड्राइव

17.DOL = Direct On Line =डायरेक्ट ऑनलाइन
18.RDOL = Reverse Duty On Line = रिवर्स ड्यूटी ऑनलाइन

19.MLDB = Main Lighting Distribution Board = मेन लाइटिंग डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

20.SLDB = Secondary Lighting Distribution Board = सेकेंडरी लाइटिंग डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

21.EMLDB = Emergency Lighting Distribution Board = इमरजेंसी लाइटिंग डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

22.CPSS = Construction Power Substation = कंस्ट्रक्शन पावर सब स्टेशन

23.DSS = Distribution Power Substation = डिस्ट्रीब्यूशन पावर सब स्टेशन

24.RCC = Remote Control Cables = रिमोट कंट्रोल केबल

25.MCB = Miniature Circuit Breaker = मिनिएचर सर्किट ब्रेकर

26.MCCB = Moulded Case Circuit Breaker = मॉड्यूलड केस सर्किट ब्रेकर

27.MPCB = Motor Protection Circuit Breaker =मोटर प्रोटेक्शन सर्किट ब्रेकर

28.EMPR = Electronic Motor Protection Relay = इलेक्ट्रॉनिक मोटर प्रोटेक्शन रिले

29.RCCB = Residual Current Circuit Breaker = रेजिदुअल करंट सर्किट ब्रेकर

30.RCBO = Residual Current Circuit Breaker With Over-Current Protection = रेजिदुअल करंट सर्किट ब्रेकर विद अवर करंट प्रोटेक्शन

31.ELCB = Earth Leakage Circuit Breaker = अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर

32.HRC = Fuse High Rupture Capacity Fuse = फ्यूज हाई रप्चर कैपेसिटी फ्यूज

33.OLTC = On Load Tap Changer =ओन लोड टैप चेंजर

34.FCMA = Flux Compensated Magnetic Amplifier =फ्लक्स कोम्पेंसटेड मैग्नेटिक एंपलीफायर

35.UPS = Un-Interrupted Power Supply = अन इंटरेपटड पावर सप्लाई

36.SMF Battery = Sealed Maintenance Free Battery = शील्ड मेंटेनेंस फ्री बैटरी

37.JB = Junction Box =जंक्शन बॉक्स

38.PB = Push Button = पुश बटन

39.TB = Terminal Box = टर्मिनल बॉक्स

40.LCB = Local Control Board = लोकल कंट्रोल बोर्ड

41.LCS = Local Control Station = लोकल कंट्रोल स्टेशन

42.SPNDB = Short Circuit Protection Neutral Distribution Board = शार्ट सर्किट प्रोटक्शन न्यूट्रल डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

43.TPNDB =Three Phase And Neutral Distribution Board = थ्री फेज एंड न्यूट्रल डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड

44.CT = Current Transformer = करंट ट्रांसफार्मर

45.PT = Potential Transformer = पोटेंशियल ट्रांसफार्मर

46.SCIM = Squirrel Cage Induction Motor = स्कुइर्रेल केज इंडक्शन मोटर

47.ACVS = Air Conditioning And Ventilation System =कंडीशनिंग एंड वेंटिलेशन सिस्टम

48.FDA = Fire Detection An
d Alarm =फायर डिटेक्शन एंड अलार्म
49.PCS = Pull Cord Switch = पुल कार्ड स्विच

50.ZSS = Zero Speed Switch =जीरो स्पीड स्विच

51.BSS = Belt Sway Switch = बेल्ट सवे स्विच

52.NO = Normally Opened = नॉर्मल ओपन

53.NC = Normally Closed = नॉर्मली क्लोज

54.TEFC = Total Enclosed Fan Cooled = टोटल इन क्लोज्ड फैन कुल्ड

55.TESC = Totally Enclosed Surface Cooled = टोटल इन क्लोज सरफेस कुल्ड

56.ISMC = Indian Standard Medium Weight Channel =इंडियन स्टैंडर्ड मीडियम वेट चैनल

57.GI Busbar = Galvanized Iron Bus Bar (For Earthing) = गैल्वेनाइज्ड आयरन बस बार
Automation And Instrumentation

                   Computer Basics

1. PLC = Programmable Logic Controller =प्रोग्राममेंबल लॉजिक कंट्रोलर

2. DCS = Distributed Control System = डिस्ट्रीब्यूटड कंट्रोल सिस्टम

3. MPI = Multi Point Interface = मल्टी पॉइंट इंटरफ़ेस

4. DP = Distributed Peripheral = डिस्ट्रीब्यूटर पेरिफेरल

5. SCADA = Supervisory Control And Data Acquisition = सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्वीजीशन

6. HART = Highway Addressable Remote Transducer =हाईवे एड्रेसेबल रिमोट ट्रांसड्यूसर

7. HMI = Human Machine Interface = ह्यूमन मशीन इंटरफ़ेस

8. MMI = Man Machine Interface = मैन मशीन इंटरफ़ेस

9. VDU = Visual Display Unit = विजुअल डिस्प्ले यूनिट

10. RIO = Remote Input Output = रिमोट इनपुट आउटपुट

11. TCP/IP = Transmission Control Protocol-Internet Protocol = ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल इंटरनेट प्रोटोकॉल

12. CFC = Continuous Function Chart = कंटिन्यू फंक्शन चार्ट

13. SFC = Sequential Function Chart = सीक्वेंस फंक्शन चार्ट

14. PID Control = Proportional Integral And Derivative Control = प्रोपोर्तिओनल इंटीग्रल एंड डेरीवेटिव कण्ट्रोल

15. RAM = Random Access Memory =रैंडम एक्सेस मेमोरी

16. ROM = Read Only Memory = रीड ओनली मेमोरी

17. PROM = Programmable Read Only Memory = प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी

18. EPROM = Erasable Programmable Read Only Memory =इरेजबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी

19. EEPROM = Electrically Erasable Programmable Read Only Memory =इलेक्ट्रिकल इरेजबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी

20. RTD = Resistance Temperature Detector= रजिस्टेंस टेंपरेचर

ध्रुवीकरण के प्रकार

  ध्रुवीकरण के प्रकार आधार पूर्वाग्रह सर्किट इस विषय में हमने कहा था कि हम सभी परिपथों को सक्रिय रूप में लेंगे, ताकि बाद में जब हम एकांतर मे...