Tuesday, February 23, 2021

(Power Generation)

 शक्ति उत्पादन (Power Generation)


पदार्थ का वह गुण जो पदार्थ को कार्य करने की क्षमता प्रदान करे ऊर्जा कहलाती है। शक्ति के उत्पादन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।

ऊर्जा के मुख्य रूप से दो प्रकार के स्त्रोत होते है ।

1. गैर-परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत

2.परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत

गैर-परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत ऊर्जा स्त्रोतों में भू-तापीय ऊर्जा, जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा, सोर ऊर्जा,बायोगैस ऊर्जा तथा ज्वार ऊर्जा को सम्मिलित किया जाता है ।

परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत में कोयला, प्राकृतिक तेल, गैस तथा नाभिकीय ऊर्जा को सम्मिलित किया जाता है ।

कोयले को गुणवता के आधार पर चार भागो में बांटा जाता है –

1.एन्थ्रेसाइड

2.बिटुमिन

3. लिग्नाइट

4.पीट

ईधन एक परम्परागत (Conventional) ऊर्जा स्त्रोत है । ईधन में मुख्य रूप से कार्बन होता है तथा उसके साथ कुछ अन्य तत्व भी पाए जाते है ।

ईधन के प्रकार-मुख्य रूप से ईधन (Fuels) तीन प्रकार के होते है –

1.ठोस ईधन (Solid Fuels)

2.द्रव ईधन  (Liquid Fuels)

3.गैसीय ईधन (Gaseous Fuels)

उत्पति के आधार पर ईधन के प्रकार –

1.ठोस (Solid)

 A. प्राकृतिक ईधन –लकड़ी , पीट और लिगनाइट कोयला

 B.कृत्रिम ईधन-चारकोल

2.द्रव (Liquid)

 A. प्राकृतिक ईधन-पेट्रोलियम (तेल)

 B.कृत्रिम ईधन- पेट्रोल,करोसिन,सोलर सैल , गैस तेल , कोलतार आदि ।

3. गैसीय ईधन (Gaseous Fuels)

A. प्राकृतिक ईधन- प्राकृतिक गैस

B.कृत्रिम ईधन- कोक ओवन गैस ,सेमी कोक गैस ,प्रोडयूसर गैस आदि ।

द्रव ईधन का फ्लेस बिन्दु निम्न होता है । इसका कीलोरिफिक मान उच्च होता है और इसकी श्यानता (Viscosity) सामान्य तापमान पर निम्न होती है ।

ईधन एक परम्परागत (Conventional) ऊर्जा स्त्रोत है । ईधन में मुख्य रूप से कार्बन होता है तथा उसके साथ कुछ अन्य तत्व भी पाए जाते है ।

ईधन के प्रकार-मुख्य रूप से ईधन (Fuels) तीन प्रकार के होते है –

1.ठोस ईधन (Solid Fuels)

2.द्रव ईधन  (Liquid Fuels)

3.गैसीय ईधन (Gaseous Fuels)

उत्पति के आधार पर ईधन के प्रकार –

1.ठोस (Solid)

 A. प्राकृतिक ईधन –लकड़ी , पीट और लिगनाइट कोयला

 B.कृत्रिम ईधन-चारकोल

2.द्रव (Liquid)

 A. प्राकृतिक ईधन-पेट्रोलियम (तेल)

 B.कृत्रिम ईधन- पेट्रोल,करोसिन,सोलर सैल , गैस तेल , कोलतार आदि ।

3. गैसीय ईधन (Gaseous Fuels)

A. प्राकृतिक ईधन- प्राकृतिक गैस

B.कृत्रिम ईधन- कोक ओवन गैस ,सेमी कोक गैस ,प्रोडयूसर गैस आदि ।

द्रव ईधन का फ्लेस बिन्दु निम्न होता है । इसका कीलोरिफिक मान उच्च होता है और इसकी श्यानता (Viscosity) सामान्य तापमान पर निम्न होती है ।

ईधन एक परम्परागत (Conventional) ऊर्जा स्त्रोत है । ईधन में मुख्य रूप से कार्बन होता है तथा उसके साथ कुछ अन्य तत्व भी पाए जाते है ।

ईधन के प्रकार-मुख्य रूप से ईधन (Fuels) तीन प्रकार के होते है –

1.ठोस ईधन (Solid Fuels)

2.द्रव ईधन  (Liquid Fuels)

3.गैसीय ईधन (Gaseous Fuels)

उत्पति के आधार पर ईधन के प्रकार –

1.ठोस (Solid)

 A. प्राकृतिक ईधन –लकड़ी , पीट और लिगनाइट कोयला

 B.कृत्रिम ईधन-चारकोल

2.द्रव (Liquid)

 A. प्राकृतिक ईधन-पेट्रोलियम (तेल)

 B.कृत्रिम ईधन- पेट्रोल,करोसिन,सोलर सैल , गैस तेल , कोलतार आदि ।

3. गैसीय ईधन (Gaseous Fuels)

A. प्राकृतिक ईधन- प्राकृतिक गैस

B.कृत्रिम ईधन- कोक ओवन गैस ,सेमी कोक गैस ,प्रोडयूसर गैस आदि ।

द्रव ईधन का फ्लेस बिन्दु निम्न होता है । इसका कीलोरिफिक मान उच्च होता है और इसकी श्यानता (Viscosity) सामान्य तापमान पर निम्न होती है ।

गैस ईधन को मुख्यतः दो भागो में विभक्त किया जाता है –

1.प्राकृतिक

2.कृत्रिम

प्राकृतिक गैस एक निश्चित सगठन की गैसे होती है जिसको जलाना बहुत सरल होता है तथा यह हवा के साथ अच्छी तरह घुल जाती है ।

कृत्रिम गैसे मुख्य रूप से औधोगिक उपयोग की गैसे होती है । विभिन्न ओवन व् फरनेस (भट्टटी) में इनका उपयोग किया जाता है ।

शक्ति सयंत्र मुख्यतः चार प्रकार के होते है –

1.तापीय शक्ति सयंत्र

2.जल विधुत शक्ति सयंत्र

3.नाभिकीय शक्ति सयंत्र

4.गैस टरबाइन शक्ति सयंत्र

तापीय शक्ति सयंत्र (Thermal Power Plant)


तापीय शक्ति स्टेशनों पर कोयले या ईधन की दहन ऊष्मा से बॉयलरो में उच्च ताप एव दाब पर भाप उत्पन्न की जाती है  इस भाप से भाप टरबाइन या भाप इंजन चलाए जाते है ।

तापीय शक्ति सयंत्र में विभिन्न प्रकार के भाग होते है जो निम्न प्रकार है –

1.कोयला हेण्डलिंग सयंत्र (Coal Handling Plant)

2.चूर्णित सयंत्र (Pulerising Plant)

3.ड्राफ्ट फेन (Draft Fan)

4. बॉयलर (Boiler)

5.राख हेण्डलिंग सयंत्र (Ash Handling plant)

6.टरबाइन (Turbine)

7.इकॉनोमाइजर (Economiser)

8.कूलिंग टावर (Cooling Towers)

9.अतितापक (Superheater)

10.वायु पुर्वातापक (Air Pre-heater)

11.ऑल्टरनेटर (Alternator)

12.फीड वाटर पम्प (Feed Water Pump)

13.बचाव एव नियंत्रण उपकरण (Protection and Control Equipment)

कोयला हेण्डलिंग सयंत्र का कार्य बॉयलर भट्टटी को कोयला प्रदान करना होता है । इसके लिए कोयले को निश्चित मात्रा में माप कर कन्वेयरो के द्वारा हॉपर (Hopper) तक पहुचाया जाता है ।

चूर्णन सयंत्र कोयले को चूर्णित किया जाता है । इसके कई लाभ होते है । इससे ईधन दहन की दर नियंत्रित की जाती है ।

बॉयलर में दहन क्रिया के लिए वायु की पर्याप्त आपूर्ति की आवश्यकता होती है । दाब में अंतर के कारण वायु का संचारण (Circulation) होता है , उसे ड्राफ्ट कहते है ।

बॉयलर एक बंद बर्तन होता है जिससे पानी को दाब पर भाप में बदला जाता है । बॉयलर को अत्यधिक ऊष्मा अवशोषित करने के उद्येश्य से निर्मित किया जाता है ।

टरबाइन भाप (स्टीम) ऊर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदल देता है । इनका मुख्य लाभ उच्च दक्षता,सरल संरचना, अधिक गति,कम स्थान की आवश्यकता है ।

टरबाइन मुख्य रूप से दो तरह के होते है –

1.आवेग टरबाइन

2.प्रतिक्रिया टरबाइन

तापीय शक्ति सयंत्रो से निकलने वाले गर्म पानी को ठण्डा करने के लिए कूलिंग टावर का उपयोग किया जाता है ।

कूलिंग टावर दो प्रकार के होते है –

1.वेट कूलिंग टावर (Wet Cooling  Tower)

2.ड्राई कूलिंग टावर (Dry Cooling Tower)

तापीय शक्ति सयंत्र के लिए स्थान का चुनाव करते समय निम्न बिन्दुओ पर ध्यान देना चाहिए –

  1. कोयले की उपलब्धता
  2. राख निष्कासन सुविधाए
  3. स्थान की आवश्यकता
  4. भूमि की प्रकृति
  5. जल की उपलब्धता
  6. परिवहन सुविधाए
  7. कारीगरों की उपलब्धता
  8. जन समस्याएं
  9. शक्ति सयंत्र का आकार

जल विधुत शक्ति सयंत्र (Hydro Electric Power Plant)


विश्व में होने वाले कुल शक्ति उत्पादन का का 20% भाग जल विधुत सयंत्र द्वरा प्रदान किया जाता है । अत: तापीय शक्ति सयंत्र (Thermal Power Plant) के बाद शक्ति उत्पादन में जल विधुत सयंत्र का एक महत्वपूर्ण योगदान है ।

जल विधुत शक्ति सयंत्र के स्थान के चयन के समय निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए –

1.पानी की उपलब्धता

2.पानी का संग्रहण

3.पानी का शीर्ष

4.जमीन की लागत

5.जियोलोजिकल सर्वे

6.भार केन्द्र से दूरी

7.जल विधुत शक्ति सयंत्र तक पहुच

8.पानी का प्रदुषण

जल विधुत शक्ति सयंत्र के द्वारा जलीय ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है जिसके अन्तर्गत इसकी सुचारू कार्यप्रणाली और दक्षता के लिए कई प्रबंध किए जाते है ।

बांध के पीछे पानी की एक झील होती है जिसमे पानी एकत्रित किया जाता है, इसे भन्डारण जलाशय कहते है ।यह एक जल विधुत शक्ति सयंत्र की मूलभूत आवश्यकता (Basic Requirement) होती है ।

फोरबे (Forebay), इनटेक (Intake) के ठीक ऊपर एक चोड़ी नहर (Enlarge Canal) के रूप में होता है । इसका मुख्य उद्येश्य निम्न लोड (Low Load) के दोरान अस्थाई रूप से पानी को एकत्रित करना है ।

सर्ज टेंक, एक खुला टेंक (Open Tank) होता है या कई बार इसे एक छोटा जलाशय (Small Reservior)भी कहते है । टरबाइन की गति, भार पर निर्भर करती है और बांध से पानी की सप्लाई विधुत भार के अनुरूप होती है ।

पेनस्टॉक, एक बन्द कन्डयूट पाइप (Closed Conduit Pipe) होती है जो जलाशय या सर्ज टेंक को टरबाइन से जोड़ती है । यह स्टील या संबलित सीमेंट कंक्रीट (Reinforced Cement Concrete, RCC) की बनाई जाती है ।

उत्पल्व मार्ग बांध में आवश्यकता से अधिक पानी की मात्रा को जलाशय से निकलता है, साथ ही उत्पल्व मार्ग बांध में तेरने वाले पदार्थो को बांध के बाहर निकाल देता है ।

बांध के पीछे पानी को हेड रेस कहते है , यह पानी दाब टनल (Pressure Tunnel) तथा पेनस्टॉक से होता हुआ टरबाइन तक पहुचता है तथा टरबाइन को घुमाने का कार्य करता है ।

ड्राफ्ट ट्यूब, एक एयर टाइप पाइप (Air Tight Pipe) होता है जिसके द्वारा टरबाइन से  निकले पानी को टेल रेस में विसर्जित किया जाता है ।

जल की उपलब्धता के आधार पर जल विधुत शक्ति सयंत्र को तीन भागो में बांटा जाता है -

1.बिना जलाशय के शक्ति सयंत्र

2. जलाशय वाले शक्ति सयंत्र

3.रिजरवॉयर वाले शक्ति सयंत्र

भार के आधार पर विधुत शक्ति सयंत्र को दो भागो में बांटा है –

1.आधार भार सयंत्र

2.शिखर भार सयंत्र

शीर्ष के आधार पर शक्ति सयंत्र के तीन प्रकार होते है –

1.निम्न शीर्ष शक्ति सयंत्र

2.मध्यम शीर्ष शक्ति सयंत्र

3.उच्च शीर्ष शक्ति सयंत्र


नाभिकीय शक्ति सयंत्र (Nuclear Power Plant)


परमाणु का समस्त भार जिस भाग पर केन्द्रित रहता है , उसे नाभिक कहा जाता है ।

संन् 1911 में रदरफोर्ड नामक वैज्ञानिक ने नाभिक के अस्तित्व को समझाया था । इसके अनुसार प्रत्येक तत्व में नाभिक होता है तथा नाभिक का निर्माण न्यूट्रॉन व प्रोटॉन से मिलकर होता है ।

प्रोटॉन का भार, न्यूट्रॉन के भार के लगभग बराबर ही होता है । नाभिक में प्रोटॉन को (Z) के द्वारा दर्शाया जाता है । इस पर धनावेश होता है ।

न्यूट्रॉन एक उदासीन कण होता है, जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है तथा इसके चुम्बकीय आघूर्ण ऋणात्मक होते है ।

सामान्यत: नाभिकीय अभिक्रियाए दो प्रकार की होती है

1.नाभिकीय विखण्डन (Nuclear Fission)

2. नाभिकीय संलयन (Nuclear Fision)

किसी नाभिक का दो द्र्व्यमानो में बंट जाना नाभिकीय विखण्डन कहलाता है ।

जब दो हल्के नाभिक आपस में जुडकर एक भारी नाभिक का निर्माण करते है उसे नाभिकीय संलयन अभिक्रिया कहते  है ।

यूरेनियम-233, युरेनियम-235, व् प्लूटोनियम विशिष्ट प्रकार के नाभिकीय पदार्थ होते है ।

न्यूक्लीयर शक्ति सयंत्र के लिए स्थान का चयन करते समय निम्न बांतो पर विशेष ध्यान दिया जाता है –

1.स्थान

2.जल की उपलब्धता

3.यातायात

4.संचारण हानिया

5.उत्सर्जन का निस्तारण

नाभिकीय शक्ति के पूरे प्रबन्ध को निम्न भागो में बाटा जा सकता है –

1.नाभिकीय रियक्टर

2.ऊष्मा स्थानान्त्ररक

3.टरबाइन

4.संघनित्र

5.ऑल्टरनेटर

नाभिकीय रियक्टर एक पात्र होता है जिसमे विखण्डन के ईधन को भरा जाता है ।

नाभिकीय रिएक्टर के सामन्यत: 93U235. 94U239 व् 92U233 तत्व ईधन के रूप प्रयुक्त किए जाते है ।

मंदक एक पदार्थ होता है जो न्यूट्रॉन की गतिज उर्जा को धीमी गति में परिवर्तित करता है तथा इस कार्य हेतु लगा समय बहुत कम होता है ।

नाभिकीय रियक्टर में ईधन के विखण्डन से उत्पन्न न्यूट्रॉनो को कोर से बाहर निकलने से रोकने के लिए परावर्तक का उपयोग किया जाता है ।

नाभिकीय रियक्टर एक पात्र होता है जिसमे विखण्डन के ईधन को भरा जाता है ।

नाभिकीय रिएक्टर के सामन्यत: 93U235. 94U239 व् 92U233 तत्व ईधन के रूप प्रयुक्त किए जाते है ।

मंदक एक पदार्थ होता है जो न्यूट्रॉन की गतिज उर्जा को धीमी गति में परिवर्तित करता है तथा इस कार्य हेतु लगा समय बहुत कम होता है ।

नाभिकीय रियक्टर में ईधन के विखण्डन से उत्पन्न न्यूट्रॉनो को कोर से बाहर निकलने से रोकने के लिए परावर्तक का उपयोग किया जाता है ।

नियंत्रक छड़ो के द्वारा नाभिकीय रियक्टर में उत्पन्न ऊष्मा को नियंत्रित किया जाता है ।

शीतक एक माध्यम है जो रियक्टर कोर में उत्पन्न ऊष्मा को ऊष्मा विनिमयित्र (Heat Exchanger) तन्त्र में पारिचालित कार्यकारी पदार्थ को अन्तरित करता है जिसके फलस्वरूप भाप उत्पन्न होती है ।

टरबाइन (Turbines) 


टरबाइन एक रोटरी यांत्रिक युक्ति है जो कि द्रव या वाष्प प्रावह (Flow) से ऊर्जा को अवशोषित करके उसे प्रत्यावर्तक को देती है जो उसे विधुत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है ।

टरबाइन मुख्य रूप से निम्न प्रकार के होते है –

1.कोल या वाष्प टरबाइन

2.जल टरबाइन

3.गैस या डीजल टरबाइन

वाष्प टरबाइन के द्वारा वाष्प ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है जो प्रत्यावर्तक को चलाती है ।

कोल या वाष्प टरबाइन दो प्रकार के होते है –

1.आवेग टरबाइन (Impulse Turbine)

2.प्रतिक्रिया टरबाइन (Reaction Turbine)

जल विधुत शक्ति सयंत्र में टरबाइन की ब्लेडो पर ऊचाई से पानी गिराने पर टरबाइन घूमता है जिससे यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, इस यांत्रिक ऊर्जा को जनित्रो द्वारा विधुत ऊर्जा में बदल दिया जाता है ।

जल विधुत शक्ति सयंत्र के लिए निम्न टरबाइनो का उपयोग किया जाता है –

1.पेल्टन व्हील टरबाइन

2.फ्रोंसिस टरबाइन

3.केपलान टरबाइन

4.प्रोपेलर टरबाइन

गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत (Non-Conventional Energy Sources)


गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों को नवीनकरणीय ऊर्जा स्त्रोत भी कहते है क्योंकि इनका उपयोग पुनः किया जा सकता है । इन ऊर्जा स्त्रोतों के उदाहरण है – सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वार ऊर्जा, बायोगैस ऊर्जा आदि ।

सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा ही सौर ऊर्जा कहलाती है । सूर्य प्रति वर्ग मीटर लगभग 63.11MW ऊर्जा का उत्सर्जन करता है जो की पृथ्वी की कुल प्राथमिक ऊर्जा की आवश्यकता के बराबर है ।

सूर्य से ऊर्जा मुख्य तरीको से प्राप्त कर सकते है जो निम्न है –

1.प्रकाशीय रसायन विधि

2.तापीय प्रभाव

3.प्रकाश वोल्टीय तकनीक

सौर ऊर्जा में तीन प्रकार के पदार्थो का उपयोग किया जाता है –

  1. पारदर्शी पदार्थ

2.  विधुत रोधी पदार्थ

  1. अवशोषक पदार्थ

मनुष्य तथा जानवरों के अपशिष्ट तथा वनस्पतियों को वायु तथा सूर्य की रोशनी की अनुपस्थिति में सड़ाकर बायोगैस का उत्पादन किया जाता है, इसे गोबर गैस भी कहते है।

पवन उर्जा शक्ति सयंत्र के पांच मुख्य भाग होते है –

1.रोटर

2.पवन मिल हेड

3.जनरेटर

4.सपोर्टिंग संरचना

5.नियंत्रक

पवन ऊर्जा को पवन चक्की के घुमने से प्राप्त किया जाता है ।

जब पवन चक्की घुमती है तो जनित्र ऊर्जा उत्पादन  करता है।

पवन चक्की के विभिन्न प्रकार निम्नानुसार है-

1.क्षेतिज अक्षीय पवन चक्की

  (A) मल्टी ब्लेड्स की पवन चक्की

  (B) सेल प्रकार की पवन चक्की

  (C) डच (Propeller) पवन चक्की

  (D) एकल ब्लेड प्रकार की पवन चक्की

2.लम्बवत अक्षीय पवन चक्की

  (A) सेवोनियस पवन चक्की

  (B) डेरियस पवन चक्की

समुद्र (Ocean) अपने अन्दर कई रूपों में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा को समेटे हुए है । यह ऊर्जा विभिन्न रूपों में उसकी लहरों द्वारा (Wave Energy), ज्वार भाटा द्वारा (Tidal Energy) तथा गर्म सतह पानी एव ठण्डे गहरे किए पानी के तापमान के अन्तर द्वारा प्राप्त होती है ।

समुंद्री ऊर्जा मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-

1.ज्वार भाटा ऊर्जा

2.लहर ऊर्जा

समुंद्र के जल का सामयिक (Periodic) लहरों में ऊचा उठना व समुद्र तट की तरफ बढ़ना और वापस लौटना क्रमशः ज्वार भाटा कहलाता है ।

समुद्री लहरे भी पवन और समुद्री उर्जा की भांति सौर उर्जा से उत्पन्न होती है । समुद्री लहरे पवन उर्जा के कारण होती है जो की सौर उर्जा के कारण बहती है ।

विधुत शक्ति का संचरण (Transmission of Electrical Power) 


विधुत ऊर्जा को जनरेटिंग स्टेशन से स्टेप-अप ट्रांसफ़ॉर्मर के द्वारा सब-स्टेशन तक पहुचाने को संचरण (Transmission) कहते है ।

विधुत शक्ति को शक्ति सयंत्र से उपभोक्ता तक पहुचाने की प्रक्रिया को विधुत सप्लाई तंत्र कहते है ।

ये सप्लाई तंत्र तीन प्रकार के होते है –

1.शक्ति सयंत्र (Power Station)

2.संचरण लाइन (Transmission)

3.वितरण (Distribution)

जनन केन्द्र (G.S.) में विधुत शक्ति को त्रिकलीय प्रत्यावर्तको (Alternators) के द्वारा उत्पादित किया जाता है जोकि परस्पर समानान्तर क्रम में कार्य करते है ।

प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा संचरण में विधुत शक्ति को शक्ति उत्पादन स्टेशन से वितरण तंत्र तक स्थानान्तत्रित किया जाता है । संचरण में प्रत्यावर्ती धारा तथा दिष्ट धारा दोनों का ही प्रयोग किया जाता है ।

एककलीय प्रत्यावर्ती धारा तंत्र को मुख्य रूप से निम्न भागों में बाटा जाता है-

  1. एककलीय प्रत्यावर्ती धारा तंत्र
  2. एककलीय द्वी - तार (मध्य बिन्दु भूसम्पर्कित) प्रत्यावर्ती धारा यंत्र
  3. एककलीय त्रि- तार प्रत्यावर्ती धारा तंत्र

त्रिकलीय प्रत्यावर्ती धारा तंत्र को मुख्य रूप से निम्न भागो में बाटा जा सकता है –

1.त्रिकलीय त्रि-तार ए.सी. तंत्र

2.त्रिकलीय चार तार प्रत्यावर्ती धारा तंत्र

विधुत संचरण प्रणाली में शिरोपरि लाइन का प्रयोग किया जाता है जिनमे पर्याप्त तनन एव यांत्रिक सामर्थ्य होता है ।

सामान्यतया शिरोपरि लाइन के मुख्य अवयव निम्न होते है –

  1. चालक
  2. आधार
  3. विधुतरोधक तत्व
  4. क्रोस आर्म
  5. अतिरिक्त

विधुतरोधक शिरोपरि लाइनों में चालक व लाइन आधारों के मध्य दूरी बनाए रखते है । अत: किसी भी शिरोपरि लाइन का उचित संचालन विधुतरोधक के सही चुनाव (Selection) पर निर्भर करता है ।

विधुतरोधक विभिन्न प्रकार के होते है । कुछ विशेष प्रकार के विधुतरोधक निम्नानुसार है –

1.पिन प्रारुपी विधुतरोधक (Pin Type Insulators)

2.झुला प्रारुपी विधुतरोधक (SuspensionType Insulators)   

3.विकृति प्रारुपी विधुतरोधक (Strain Type Insulators)

4.शैकल प्रारुपी विधुतरोधक (Shackle Type Insulators)

शक्ति तंत्र में विधुत शक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जिस माध्यम के द्वारा ले जाया जाता है वह चालक कहलाता है ।

कुछ महत्वपूर्ण पदार्थो के आधार पर चालक निम्नलिखित है –

1.ताम्र चालक (Copper Conductor)

2.एल्युमिनियम चालक (Aluminium Conductor)

3.इस्पात प्रबलित एल्युमिनियम चालक (Steel Reinforced Aluminium Conductor)

4.जस्तीकृत इस्पात चालक (Galivanized Steel Conductor)

5.कैडमियम ताम्र चालक (Cadmium Copper Conductor)


घरेलू विधुत उपकरण

 घरेलू विधुत उपकरण (Domestric Electric Appliances)


जब विधुत प्रतिरोध में से गुजरती है तो ऊष्मा उत्पन्न होती है। इस ऊष्मा उत्पन करने के प्रभाव को उष्मन,उपसाधनो,विधुत इस्त्री,हॉट प्लेट, विधुत केतली,टोस्टर,इमरशीयन रॉड, आदि में उपयोग में लिया जाता है।

हीटर के मुख्य भाग निम्न होते है –

  1. बेस या बॉडी
  2. पोर्सिलीन प्लेट
  3. हीटर एलिमेंट
  4. कनेक्टर पिन
  5. फ्लेक्सिबल तार
  6. गार्ड या जाली

इमरशीयन हीटर में नाइक्रोम धातु का बना एलिमेन्ट लगा होता है ।

हॉट प्लेट ओवन, एक ओवन व् गर्म प्लेट का मिश्रित रूप है । इसमे एलिमेंट दिखाई नही देते है ।

रूम हीटर में सिरेमिक पदार्थ की बनी गोल रॉड पर एलिमेन्ट लपेटा जाता है जो की नाइक्रोम धातु का बना होता है ।

 रुम कूलर


रूम कूलर एक ऐसा उपकरण है, जिसके द्वारा सामन्य हवा से ठण्डी हवा प्राप्त की जाती है । इसमे एक बड़े आकर की धातु की टंकी में वायु निकास पंखा (Exhaust Fan) एवं एक वाटर पम्प लगा होता है ।

विधुत इस्त्री के मुख्य भाग निम्न होते है –

1.सोल प्लेट    

2.हिंटिंग एलीमेन्ट

3.एस्बेस्टस शीट

4.प्रेशर प्लेट

5.हेन्डील

6.कवर प्लेट

7.पिन प्लेट

8.फ्लेक्सिबल स्पिड

विधुत इस्त्री मुख्यतः निम्न प्रकार की होती है –

1.ऑटोमेटिक विधुत इस्त्री

2.स्टीम विधुत इस्त्री

विधुत केतली का प्रयोग दूध गर्म करने, चाय बनाने, पानी गर्म करने आदि में किया जाता है । ये ऑफिस में कम समय में चाय बनाने का बहुत सरल व सस्ता साधन है।

टोस्टर का मुख्य उद्येश्य ब्रेड के स्लाइस को गर्म करना होता है । स्लाइस के लिए इसमे खांचा बना होता है। इसके लिए ताप का ध्यान रखना पड़ता है

विधुतीय गीजर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है –

1.इंस्टेन्ट गीजर

2.स्टोरेज गीजर

हेयर ड्रायर का प्रयोग बालो को सुखाने के लिए किया जाता है। इसकी आकृति इस प्रकार रखी जाती है की इसे हाथ में पकडकर प्रयोग किया जा सकता सके । इसमे एक छोटा ब्लोअर और एक छोटा हिंटिंग एलिमेन्ट लगा होता है।

बोनेट प्रकार के हेयर ड्रायर के मुख्यतः तीन भाग होते है –

1.मोटर

2.एलिमेन्ट

3.सलेक्टर स्विच

विधुत घंटी की बनावट में बैकेलाईट या फाइबर या P.V.C.की बोबिन पर दो सुपर इनेमल से बनी क्वॉयल फिट होती है। इनके मध्य रखी नर्म लोहे की पती क्वॉयलो को सप्लाई देने पर चुम्बक में बदल जाती है ।

बजर का उपयोग किसी व्यक्ति को बुलाने के लिए संकेत के रूप में किया जाता है । इसमे मुख्य रूप से इलेक्ट्रोमेगनेट होता है।

खाद्य मिक्सर में युनिवर्सल मोटर का उपयोग किया जाता है

वर्तमान में अनाज को पिसने हेतु घर में ही ग्राइंडर का उपयोग किया जाता है । ये दो प्रका के होते है –

1.बेन्च टाइप

2. हेन्डील टाइप     

वाशिंग मशीन से कपड़े आसनी से धोये जा सकते है। इससे शारीरिक श्रम की बचत होती है । यह सामान्यत: तीन प्रकार की होती है –

1.मेन्युअल या साधारण वाशिंग मशीन

2.सेमी-ऑटोमेटिक वाशिंग मशीन

3.पूर्ण  ऑटोमेटिक वाशिंग मशीन

डेजर्ट कूलर दो प्रकार के होते है –

1.ब्लोअर टाइप

2.एक्जास्ट टाइप





 

Monday, February 22, 2021

माइक्रोकंट्रोलर क्या है?

माइक्रोकंट्रोलर क्या है?

Microcontroller एक छोटा और बहुत ही सस्ता microcomputer होता है जिसको embedded system के विशेष कार्यों को perform करने के लिए design किया जाता है. जैसे कि – microwave की सूचना को डिस्प्ले करने, एवं remote signal को receive करने के लिए आदि

दूसरे शब्दों में कहें तो, “माइक्रोकंट्रोलर एक integrated circuit (IC) है जिसका प्रयोग electronic system के अन्य भागों को control करने के लिए किया जाता है”

एक सामान्य माइक्रो-कंट्रोलर में processor, serial ports, memory (RAM, ROM, EPROM) तथा peripherals होते हैं

माइक्रो-कंट्रोलर को embedded controller भी कहते है इनका प्रयोग गाड़ियों में, medical equipments (उपकरणों) में, robots, vending मशीन, एवं घरेलु उपकरणों आदि में किया जाता है

माइक्रोकंट्रोलर की विशेषताएं

  1. इसकी cost तथा size कम होता है
  2. यह निम्न clock rate frequency पर operate होता है सामन्यतया यह 4 bit words का प्रयोग करता है और यह बहुत ही कम power को consume करता है
  3. इसके पास एक dedicated input device होती है और अक्सर आउटपुट के लिए एक छोटा LED या LCD डिस्प्ले होता है।
  4. आमतौर पर यह अन्य उपकरणों में embed (जुड़ा) रहता है और उन उपकरणों के कार्यो को control करता है
  5. microcontroller के द्वारा प्रयोग किया जाने वाला प्रोग्राम ROM में स्टोर रहता है
  6. यह उन परिस्थितियों में प्रयोग होता है जहां सीमित कंप्यूटिंग कार्यों की आवश्यकता होती है।

माइक्रोप्रोसेसर और माइक्रोकंट्रोलर में अंतर

Microcontroller

  • इसका प्रयोग एक application में एक single task को execute करने के लिए किया जाता है
  • यह embedded system के दिल (heart) के समान होता है.
  • microcontroller जो है वह internal memory तथा I/O components के साथ-साथ external processor को भी स्टोर किये रहता है
  • चूँकि इसमें memory और I/O आंतरिक रूप से (internally) जुड़े रहते है इसलिए इसका size छोटा होता है
  • इसका प्रयोग compact systems में किया जा सकता है
  • पूरे सिस्टम का मूल्य कम होता है
  • इसे replace करना आसान होता है
  • इसमें power (बिजली) कम खर्च होती है
  • इसका मुख्यतः प्रयोग washing machines, MP3 players आदि में किया जाता है

Microprocessor

  • माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग बड़ी applications में किया जाता है
  • यह computer system के दिल की तरह होता है
  • यह केवल एक processor होता है. और इसमें memory और I/O बाहरी रूप से (externally) जुड़े रहते हैं
  • चूँकि इसमें memory और I/O बाहरी रूप से (externally) जुड़े रहते है. इसलिए इसका size बड़ा होता है
  • इसका प्रयोग compact systems में नहीं किया जा सकता
  • पूरे system का cost (मूल्य) बढ़ जाता है
  • इसमें बिजली ज्यादा खर्च होती है
  • इसे replace करना मुश्किल होता है
  • इसका मुख्यतः प्रयोग personal computers में किया जाता है

माइक्रोकंट्रोलर के प्रकार

बिट के आधार पर
  1. 8 bit microcontroller :- इस प्रकार के माइक्रो-कंट्रोलर का प्रयोग arithmetic तथा logical ऑपरेशन को execute करने में किया जाता है जैसे:- जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग करना आदि. उदाहरण के लिए:- intel 8031 और 8051, 8 बिट माइक्रोकंट्रोलर है
  2. 16 bit :- इस प्रकार के माइक्रोकंट्रोलर का प्रयोग भी arithmetic और logical ऑपरेशनों में किया जाता है जहाँ उच्च accuracy और performance की जरूरत होती है उदाहरण के लिए:- intel 8096
  3. 32 bit :- इस प्रकार के माइक्रो-कंट्रोलर का प्रयोग अपने-आप control होने वाले appliances में किया जाता है जैसे:- automatic operational machine, मेडिकल उपकरण आदि
memory (मैमोरी):-

memory के आधार पर इसे दो भागों में divide किया जा सकता है

external memory microcontroller :- इस type के माइक्रोकंट्रोलर को इस तरीके से डिजाईन किया गया होता है कि chip में program memory नहीं होती है example के लिए:- intel 8031

embedded memory microcontroller:- इस type के माइक्रो-कंट्रोलर को इस तरीके से design किया जाता है कि chip में सभी programs और data memory होती है example के लिए:- 8051

Elements of Microcontroller in Hindi

CPU (central processing unit) – CPU माइक्रोकंट्रोलर का brain (दिमाग) होता है यह instruction को fetch करता है, उसे डिकोड करता है और अंत में उसे execute करता है. अर्थात यह arithmetic operations को परफॉर्म करता है, data flow को मैनेज करता है, control signals को जनरेट करता है

Memory – मैमोरी का प्रयोग data तथा program को स्टोर करने के लिए किया जाता है. एक माइक्रोकंट्रोलर में आमतौर पर RAM और ROM (EPROM, EEPROM आदि) या flash memory की एक निश्चित मात्रा होती है

Parallel input/output ports – parallel input/output ports का प्रयोग बहुत सारीं devices जैसे:- LCD, LED, printers आदि को drive करने के लिए किया जाता है

Serial Ports – serial ports जो है वह माइक्रोकंट्रोलर तथा अन्य peripheral devices के मध्य इंटरफ़ेस प्रदान करता है

Timers / counters – एक microcontroller में एक या एक से ज्यादा timer तथा counter हो सकते है. timers तथा counters जो है वह counting और timing के सारें कार्यों को करने की सुविधा प्रदान करते हैं.

Sunday, February 21, 2021

Project Idea

 Electrical Project Ideas for Diploma Students

The list of electrical project ideas for electrical engineering and diploma students is listed below

  1. Over Voltage- Under Voltage Protection System
  2. Wireless Power Transfer in 3 Dimensional Spaces
  3. Intelligent Feeder Control System in 230 kilovolts Switch Yard
  4. Self-Switching Power Supply
  5. Light Emitting Diode Based Automatic Emergency Light System
  6. High Voltage Direct Current by Marx Generator Principles
  7. Highway Monitoring and Controlling System by Using Embedded Systems
  8. Power Generation from the Wind Energy Available During Movement of Train
  9. Step-Up 6 Volt Direct Current to 10 Volt Using 555 Timers
  10. High Voltage Direct Current up to 2KV From Alternative Current by Using Diodes and Capacitors in Multiplier Voltage Circuit
  11. Three-Phase Fault Analysis System with Auto-Reset on Temporary Fault and Permanent Trip Otherwise
  12. Automatic Star Delta Starter by using Relays and Adjustable Electronic Timer for Induction Motor
  13. Alternative Current Pulse Width Modulation Control for Induction Motor
  14. Password-Based Circuit Beaker
  15. Dual Tone Multi-Frequency based Load Control System
  16. Automatic Control of Bottle Filling Using Programmable Logic Controllers with Conveyor Model
  17. Industrial Temperature Controller
  18. BLDC Motor Speed Control with RPM Displays
  19. Predefined Speed Control of BLDC Motor
  20. Dish Positioning Control by IR Remote
  21. High-Performance Alternative Current Supply with Low Harmonic Distortion for Multiphase AC Machines
  22. Solar Powered Auto-Irrigation System
  23. Personal Computer-Based Electrical Loads Control
  24. Optimum Energy Management System
  25. Speed Control Unit Designed for a Direct Current Motor
  26. Accident Alerts in Modern Traffic Signal Control System by using the Camera Surveillance System
  27. PIR Based Energy Conversation System for Lighting System and Corporate Computers
  28. Attendance Management System by Using Face Recognition Technique
  29. Diode Clamped Multi-Level Inverter Using Renewable Energy System
  30. A Bi-Directional Visitors Counter
  31. Fuse Tube light Glower without Any Electric Choke
  32. Single-Phase Multilevel Inverter Space Vector Pulse Width Modulation with Personal Computer Interface and OLM
  33. Visual Alternating Current Mains Voltage Indicator
  34. Advances in Renewable Energy Sources
  35. Designing of a Permanent Magnet Generator for a Vertical Axis Wind Turbine
  36. Wireless Monitoring and controlling of Petroleum Tank
  37. Sensorless Speed Control of Alternative Current Induction Motor Using 8051 Microcontroller
  38. Temperature Adjustable Heating System with Power Electronic Devices
  39. Programmable Logic Controller Based Automatic Gate Control
  40. AT89C51 Microcontroller Based Metro Trains Using Proto Types with LCD Displays.
  41. Material Segregation in Industries Based on Programmable Logic Controllers
  42. GSM Technology Based Effective Switching of Agricultural Motor
  43. Programmable Logic Controller Based Fault Detection and Protection of Induction Motor
  44. Access Control System by Using 8051 Microcontroller
  45. Standalone Temperature Measurement System Using Microcontroller
  46. Monitoring and Controlling of Wireless Electrical Devices for Industrial Applications
  47. Monitoring and Controlling of Timer Based Electrical Oven for Metal Industries
  48. Remote Data Monitoring System with WAP Information Gateway
  49. APR9600 Based Tapeless Retrieval and Voice Storage
  50. Direct Current Motor Speed Control through Push Switches
  51. Radio Frequency Based Power House Monitoring System
  52. IGBT Based Slip Ring Motor Induction Motor Dive with Slip Recovery
  53. Smart Home Automation System with Voice Feedback Using IVRS
  54. Data Acquisition System and Control with Personal Computer Interface by Using SALVO RTOS
  55. Interlocking System for Pharmaceuticals and Chemical Industries Based on Embedded Systems
  56. Cartesian Bot Based Printed Circuit Board Drilling Machine
  57. Remote Monitoring and Alarm on Personal Computer by Using Radio Link
  58. Voice Communication Based Wireless Motor Taco Reading
  59. Touch Screen Based Machinery Access Control System for Illiterates with Image-Based Password
  60. Dual GSM Modems Based Three-Phase Irrigation Water Pump Controller for Illiterates
  61. Micro Genetic Algorithm and Fuzzy Logic Based Optimal Placement of Capacitor Banks in Radial Distribution Networks
  62. Wireless Technology-Based System shutdown, Restart and Log off Using 8051 Microcontroller
  63. Fuzzy Controller Based Dynamic Compensation of the Reactive Energy
  64. Improvement of Light-Load Efficiency for Buck Voltage Regulators
  65. Mobile Phones Based Feedback Controlled Devices with Advanced Security
  66. Optical Isolation Technology-Based High Voltage Device Interfacing to Microcontroller
  67. Monitoring of Real-time Car Battery and Low Voltage Alert System
  68. Fuzzy Logic Based Efficiency Optimization of Induction Motor

Friday, February 19, 2021

Solar Tracker

Solar Tracker के बारे में -

Solar Tracker वह Device या उपकरण हे जिसका उपयोग किसी भी सोलर पैनल को बिना किसी व्यक्ति की सहायता के जरिये ही Automatic ही SUN की तरग मोड़ना होता हे। जिससे की Sun से आने वाली ऊर्जा का अधिक से अधिक भाग विधुत (Electric ) ऊर्जा में बदला जा सके।
Solar Tracker के लाभ -

Solar Tracker का उपयोग कर अधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती हे।

Solar Tracker के उपयोग से सोलर पैनल सुबह जल्दी व शाम को देर तक काम करता हे।



Solar Tracker में उपयोग होने वाले उपकरण -

7 to 12 Volt Solar Panel

Minimum 7 volt battery

2 LDR

2 Resistance 1 K ohm

Arduino Uno

Servo Moter 9g

1 Diode 4001 या 4007

Solar Tracker सर्किट -

  #include<Servo.h>
   Servo solarservo;
   int ldr1=A1;
   int ldr2=A2;
   int diff1=0;
   int diff2=0;
   int error=5;
   int Position =90;
   int servopin =9;
  void setup() {
   solarservo.attach(servopin);
   pinMode(ldr1 , INPUT);
   pinMode(ldr2 , INPUT);
   solarservo.write(Position);     /* Start position at 90 degree*/
  }
  
  /*
  * Solar tracker Code
  * Made By EcCircuit
  * Website - https://www.eccircuit.com
  * Programe Write by Ankit jat
  */
  
  void loop() {
   diff1 = ldr1-ldr2;
   diff2 = ldr2-ldr1;
   if(((diff1<=error)&&(diff1>=0))||((diff1<=error)&&(diff1>=0))){
                     /* no change position */
   }
   else{
    if(ldr1>ldr2){
     --Position;          /* one degree position decrease */
    }
    else{
     ++Position;          /*one degree position increase */
    }
   
   }
   delay(100);            /*each degree change delay time*/
   solarservo.write(Position);
  }

अब आप नीचे दिए गयी सभी फोटो के अनुसार अपने प्रोजरक्ट को बना लें।




Solar Tracker Project Images-

Solar Tracker  -
Solar Tracker


Solar Tracker के बारे में  -
                                                      Solar Tracker वह Device या उपकरण हे जिसका उपयोग किसी भी सोलर पैनल को बिना किसी व्यक्ति की सहायता के जरिये ही Automatic ही SUN की तरग मोड़ना होता हे।  जिससे की Sun से आने वाली ऊर्जा का अधिक से अधिक भाग विधुत (Electric ) ऊर्जा में बदला जा सके।  
Solar Tracker के लाभ -
  • Solar Tracker का उपयोग कर अधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती हे। 
  • Solar Tracker  के उपयोग से सोलर पैनल सुबह जल्दी व शाम को देर तक काम करता हे। 
Solar  Tracker  में उपयोग होने वाले उपकरण -
  • 7 to 12 Volt Solar Panel
  • Minimum 7 volt battery
  • 2 LDR
  • 2 Resistance 1 K ohm
  • Arduino Uno
  • Servo Moter 9g
  • 1 Diode 4001  या  4007
Solar Tracker सर्किट - 


Solar Tracker project -
                                          अब आप नीचे दिए गयी सभी फोटो के अनुसार अपने प्रोजरक्ट को बना लें।

Solar Tracker Project Images-











                यदि आपके प्रोजेक्ट को चलने पर कोई गड़बड़ी आती हे जैसे की यदि सोलर पैनल Sun light की विपरीत (Opposite ) साइड में Move
यदि आपके प्रोजेक्ट को चलने पर कोई गड़बड़ी आती हे जैसे की यदि सोलर पैनल Sun light की विपरीत (Opposite ) साइड में Move करता हे तो आप Arduino uno से Connect LDR1 और LDR2 की पिन A1 व A2 को आपस में बदल (Replace) दें।
यायदि आप पिन को नहीं बदलना कहते हैं तो आप ह Arduinio Uno के Code में जहँ (++Position) लिखा हैं उसे बदलकर (--Position) कर दें और जहँ (--Position) लिखा हे उसे बदलकर (++Position) कर दें. और Arduino में दुबारा Upload कर दें।
यदि आपको कोई समस्या आती हे तो आप कमेंट करके मुछसे पूछ सकते हैं।
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micro mobile detector और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोजेक्ट बनाने के लिए टूल्स

 
  1. Flat head screwdrivers
  2. Soldering iron pack (सोल्डरिंग आयरन)
  3. electric drill
  4. Wire stripper
  5. long nose plier
  6. PCB
  7. Permanent marker
  8. Pencil
  9. Eraser
  10. scale
  11. soldering paste pack
  12. Cutter
  13. Pocket knife
  14. Hammer
  15. socket wrench sets
micro mobile detector क्या है ?
हम सेल फोन सक्रिय डिटेक्टरों से सबसे ज्यादा परिचित हैं। सेल फोन डिटेक्टर ज्यादातर हाथ और जेब आकार मोबाइल ट्रांसमिशन डिटेक्टर हैं। यह एक सक्रिय मोबाइल फोन की उपस्थिति को ढाई मीटर की दूरी से समझ सकता है। इसलिए इसका इस्तेमाल परीक्षा कक्षों, गोपनीय कमरे आदि में मोबाइल फोन के उपयोग को रोकने के लिए किया जा सकता है।micro mobile detector circuit बनाने का तरीका 
तो चलिए दोस्तों हम micro mobile detector circuit बनाना शुरू करते है।  दोस्तों यहाँ एक micro mobile detector circuit है। देखिये यहाँ सर्किट देखने में कितना  छोटा है।  यहाँ दो तार है इस micro mobile detector circuit का power supply  का तार। हम इस तार के साथ एक 3.7 V या  4V  battrey  कनेक्ट करेंगे।  इस सर्किट में एक एंटीना भी है।  आप चाहिए तो इससे बड़ा एंटीना का भी उपयोग कर सकते हो
माइक्रो मोबाइल सर्किट डिज़ाइन
माइक्रो मोबाइल सर्किट डिज़ाइन
micro mobile detector circuit बनाने के लिए सबसे पहले हमे लेना पड़ेगा एक छोटा PCB circuit board


micromobile detector circuit kaise banaye
micro  mobile डिटेक्टर सर्किट


अब हमे लेना पड़ेगा एक LM 386 IC इस ic में टोटल ८ पॉइंट्स है।   

LM 386 IC
LM 386 IC
अब हमे इस ic  को pcb पर इस तरह लगाना है। 

micromobile detector सर्किट कैसे बनाये    
अब हमे इससे सोल्डर कर लेना है 

how to make micro mobile detector circuit in hindi
माइक्रो मोबाइल डिटेक्टर सर्किट 
सोल्डर करने के बाद दोस्तों हमे इस माइक्रो मोबाइल डिटेक्टर सर्किट  का positive  और negative  लाइन बना लेना हैँ।  हमे यहाँ लाइन २ तार के टुकड़ो से बना लेना है।  

portable mobile phone detector
portable mobile phone detector कैसे बनाये 

दोस्तों जो ऊपर के लाइन है वो है इस माइक्रो मोबाइल डिटेक्टर सर्किट  के नेगेटिव लाइन और जो निचे की लाइन है वो है इस माइक्रो मोबाइल डिटेक्टर सर्किट  के पॉजिटिव लाइन 

how to make a mobile phone detector in hindi
how to make a mobile phone detector इन हिंदी 


अब हमे लेना है दो तार के टुकड़े हमे एक तार के टुकड़े को ic के 4 नंबर के  साथ सोल्डर कर के उससे negative लाइन के साथ सोल्डर कई लेना है।  अब हमे दूसरे तार के टुकड़े को लेकर  इस ic के 6 नंम्बर पॉइंट के साथ सोल्डर कर लेना है और उससे positive  लाइन के साथ सोल्डर कर लेना है।   

mobile detector project in hindi
mobile detector project in  hindi 

अब हमे लेना है एक capacitor 22uf/ 25 V और इससे बोर्ड पर लगा देना है।  लगते समय ध्यान रखे के capacitor  का जो negative  पॉइंट है वो है ऊपर के तरफ और जो positive  पॉइंट है वो रहेगा निचे के तरफ।  

mobile phone detector mini project in hindi
mobile phone detector mini project in  hindi  
अब हमे capacitor  का जो positive  पॉइंट है।  उससे सोल्डर करना है ic के १ नंबर पॉइंट के साथ और जो capacitor  का negative  पॉइंट है उससे सोल्डर करना है ic  के ८ नंबर पॉइंट के साथ।  

mobile phone signal detector in hindi
mobile phone signal detector  in  hindi
अब हमे लेना पड़ेगा एक transistor BC 547 इस transistor  का emitter , collector,  base पॉइंट image  में देखायागया है। 

mobile phone detector project in hindi
mobile phone detector project in  hindi 
अब हमे इस transistor  को बोर्ड पर लगा देना है।  लगते समय ध्यान रखे के transistor  का जो कटा हुआ हिस्सा है वो ic के तरफ होना चाहिए। 

mobile signal detector in hindi
mobile signal detector


 अब हमे transistor  का जो base  पॉइंट है उससे solder  करना है ic के ५ नंबर पॉइंट के साथ।  और ट्रांजिस्टर का emitter  और collector  पॉइंट बोर्ड के साथ सोल्डर कर लगे।   

mobile detector in hindi
mobile detector

अब हमे mobile detector बनाने के लिए  लेना है एक led बल्ब। 

mobile phone detector in hindi
mobile phone detector

अब हमे mobile phone detector बनाने के लिए इस led  bulb  को बोर्ड में लगा देना है।  लगते समय ध्यान रखे के led  का जो positive  पॉइंट है वो रहेगा ऊपर के तरफ और  negative   वो रहेगा निचे की तरफ।  

cell phone detection device in hindi
cell phone detection device
अब हमे cell phone detection device बनाने  के लिए इस led  का positive  पॉइंट है वो ट्रांजिस्टर के emitter  पॉइंट के साथ।  और जो led  का negative  पॉइंट है वो सोल्डर करना है negative  लाइन के साथ। 

cell phone detection device
cell phone detection device इन हिंदी 

अब  है एक 1K resistor इस 1K resistor ko बोर्ड में ऐसे लगा देंगे।  



अब हमे इस रेसिस्टर को transistor  के कलेक्टर पॉइंट के साथ और दूसरा हिस्सा  साथ सोल्डर कर देना है।  


अब हमे लेना है एक मोटा copper  तार का टुकड़ा अब हमे इस तार के टुकड़े को इस तरह से रोल कर देना है। 



तो दोस्तों यहाँ  बनजायेगा हमारा एंटीना।  




अब हमे इस एंटीना को बोर्ड में ऐसे लगाना है। 

                                       

अब हमे इस एंटीना को बोर्ड में सोल्डर कर देना है।  इस एंटीना को ic के दो नंबर पॉइंट के साथ सोल्डर कर देना है। 



अब हमे लेना है दो तार के टुकड़े अब हुए इन दोनों तार को positive  और negative  लाइन के साथ सोल्डर कर देना है। ये बनजायेगा इस सर्किट का power supply का तार। 

तो दोस्तों यहाँ   micro mobile detector circuit तैयार हो गया है।

use of mobile detector circuit
use of mobile detector circuit


mobile detector circuit के उपयोग 

यह जासूसी और अनधिकृत वीडियो ट्रांसमिशन के लिए मोबाइल फोन के उपयोग का पता लगाने के लिए भी उपयोगी है। मोबाइल फोन के उपयोग को पहचानने और प्रतिबंधित करने के लिए उन स्थानों पर कुछ स्थानों पर जहां मोबाइल फोन का उपयोग परीक्षा कक्ष, मंदिर, कार्यालयों और सिनेमाघरों की अनुमति नहीं है, यह प्रस्तावित सिस्टम बहुत उपयोगी है। मोबाइल फोन को चुप मोड में रखा गया है, भले ही इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल, एसएमएस और वीडियो ट्रांसमिशन का पता लगाना चाहिए। सेल फोन का अवैध उपयोग दुनिया भर में सुधार संस्थानों में एक बढ़ती और खतरनाक समस्या है। ये उपकरण जेल सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा हैं और जेलों में निगरानी प्रक्रियाओं को बाधित करते हैं, जबकि कैदियों को सुविधा के अंदर और बाहर दोनों नए अपराध करने में मदद करते हैं।

Active Element & Passive Element

 

  • निष्क्रिय अवयव (पैसिव एलिमेन्ट्स)- वे अवयव जिनको कार्य करने के लिये किसी बाहरी उर्जा स्रोत की आवश्यकता नहीं पड़ती न ही इनका चालकता आदि का गुण किसी अन्य वोल्टता या धारा से नियंत्रित होती है। उदाहरण- प्रतिरोधकसंधारित्र,आदि
  • सक्रिय अवयव (ऐक्टिव अवयव)- इन अवयवों की चालकता आदि अन्य धारा या विभव के मान से नियन्त्रित होता है। ये किसी संकेत का आवर्धन कर सकते हैं। जिस परिपथ में एक भी सक्रिय अवयव न हो उस परिपथ को "इलेक्ट्रॉनिक परिपथ" नहीं कहना चाहिये। उदाहरण- ट्रांजिस्टरपेन्टोड आदि

ध्रुवीकरण के प्रकार

  ध्रुवीकरण के प्रकार आधार पूर्वाग्रह सर्किट इस विषय में हमने कहा था कि हम सभी परिपथों को सक्रिय रूप में लेंगे, ताकि बाद में जब हम एकांतर मे...